लखनऊ । कोविड – 19 महामारी के दौर में स्तन कैंसर की जांच एवं उसके इलाज को टालने का गंभीर नतीजा हो सकता है और यह आने वाले समय में इसकी परिणाम सामने आ सकती है और कैंसर से होने वाली मौतों में इजाफा देखने को मिल सकता है। निश्चित तौर पर कोविड – 19 की महामारी ने स्तन कैंसर की मरीजों के समक्ष स्तन कैंसर की जांच एवं चिकित्सा के संदर्भ में कठिन चुनौतियां खड़ी की है, जब कि जब कि महिलाओं को अपने स्तन की नियमित रूप से जांच करती रहें और जरूरी होने पर संबंधित डाक्टरों से संपर्क करें। यह बात विशेषज्ञ डाक्टरों ने आयोजित वर्चुअल कार्यशाला में कही।
डा. अलोक ने कहा इस अवधि के दौरान स्तन कैंसर के बारे में की जाने वाली पूछताछ में काफी बढ़ोतरी देखी है। जब कि को अपने स्तन की नियमित रूप से जांच करती रहें और जरूरी होने पर संबंधित डाक्टरों से संपर्क करें। अस्पताल जाने के लिए संक्रमण से बचाव करते हुए जाए, ताकि जिन्हें इलाज की जरूरत है उनका इलाज अस्पतालों में बिना किसी दिक्कत के हो सके। डा. अभिसेख सिंह ने कहा कि स्तन कैंसर के जिस मामले में जल्दी जांच होती है, उस मामले में इलाज आसान होता है और मरीज के जीवित रहने की दर को अधिक से अधिक किया जा सकता है। स्तन की नियमित स्क्रीनिंग के अलावा 40 साल की उम्र के बाद हर साल मैमोग्राम के जरिए जांच तथा 30 साल की उम्र के बाद से स्तन की स्वयं जांच हर महिला के लिए बहुत जरूरी है और जिनकी आयु 50 वर्ष की आयु से अधिक है उनमें स्तन कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।
स्तन की जांच करने के लिए स्तन को स्पर्श करते हुए यह देखें कि क्या आप कुछ असामान्य महसूस कर रही है या आपके स्तन में किसी तरह का बदलाव तो नहीं आया है। अगर आपको ऐसा कुछ लगता है तो अपने डाक्टर के साथ परामर्श करें। जब आप खुद अपने स्तन की जांच करती हैं तो याद रखें कि निप्पल क्षेत्र, बगल के क्षेत्र और कॉलरबोन तक सभी स्तन ऊतकों की जांच करें।