देवी भागवत कथा सिखाती है, कोई भी सौगन्ध व प्रतिज्ञा सोच-समझकर लें : डॉ. कौशलेन्द्र शास्त्री

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ऋषि पाराशर का वरदान और सत्यवती की कथा

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देवव्रत की महान प्रतिज्ञा

यज्ञ और कथा में श्रद्धालुओं का उत्साह

बालपुर/गोण्डा। श्री मद भगवद फ़ाउण्डेशन एवं नारायण बाल विद्या मंदिर समिति द्वारा आयोजित संगीतमय देवी भागवत कथा एवं रुद्र चंडी महायज्ञ शिवनगर सोनहरा में श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब उमड़ा। कथा के दौरान सुप्रसिद्ध कथा वाचक डॉ. कौशलेन्द्र शास्त्री ने भक्तों को धर्म, सत्य और निष्ठा का महत्व समझाया। उन्होंने महाभारत के एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी भी सौगन्ध या प्रतिज्ञा को लेने से पूर्व व्यक्ति को विचार करना चाहिए।

डॉ. कौशलेन्द्र शास्त्री ने कथा के दौरान बताया कि ऋषि पाराशर के वरदान से मत्स्यगंधा के शरीर से मछली की दुर्गंध समाप्त हो गई और वह सत्यवती के नाम से प्रसिद्ध हुई। एक दिन महाराज शांतनु ने सत्यवती को देखा और उन पर मोहित हो गए। विवाह के लिए जब उन्होंने सत्यवती के पिता से अनुरोध किया, तो उन्होंने यह शर्त रखी कि सत्यवती के पुत्र ही हस्तिनापुर के राजा बनेंगे।

इस शर्त को सुनकर शांतनु चिंता में पड़ गए। जब उनके पुत्र देवव्रत को यह बात पता चली, तो उन्होंने सत्यवती के पुत्र को ही हस्तिनापुर का राजा बनाने की प्रतिज्ञा ले ली और स्वयं आजीवन ब्रह्मचर्य धारण करने का व्रत लिया। उनकी इस महान प्रतिज्ञा के कारण ही वे भीष्म कहलाए। भीष्म पितामह की यह प्रतिज्ञा न केवल उनके चरित्र की महानता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि कोई भी व्रत या संकल्प लेने से पहले उसकी गंभीरता और परिणामों पर विचार अवश्य करना चाहिए।

शिवनगर सोनहरा में आयोजित इस रुद्र चंडी महायज्ञ एवं देवी भागवत कथा में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था। हर ओर भक्तिभाव का वातावरण बना हुआ था। यज्ञाचार्य पंडित अतुल शास्त्री ने विधि-विधानपूर्वक यज्ञ संपन्न कराया। कथा के पावन अवसर पर राजीतराम, जयप्रकाश, सूरज, बालकदास, दिनेश, छोटू सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। श्रद्धालुओं ने आहुति डालकर संपूर्ण विश्व के कल्याण की प्रार्थना की।

कथा के अंत में डॉ. कौशलेन्द्र शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा हमें धर्म, सत्य, और नैतिक मूल्यों का मार्ग दिखाती है। भीष्म पितामह की प्रतिज्ञा हमें यह सीख देती है कि हमें अपने जीवन में लिए गए निर्णयों को सोच-समझकर ही लेना चाहिए। तभी हमारा जीवन सफल और सार्थक हो सकता है।
इस भव्य आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और कथा का श्रवण कर धर्म और आस्था का मार्गदर्शन प्राप्त किया। कथा के दौरान भक्तगण भजनों की मधुर ध्वनि में डूबे रहे। श्री मद भगवद फ़ाउण्डेशन के इस आयोजन ने श्रद्धालुओं को भक्ति, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
समापन के समय महाप्रसाद वितरण किया गया, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ अर्जित किया। संगीतमय कथा का यह आयोजन आस्था, श्रद्धा और आध्यात्मिक शांति का अद्भुत संगम बन गया।

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