लखनऊ – सिविल अस्पताल के आर्थोपैडिक सर्जन प्राइवेट प्रैक्टिस करने का आरोप लगा हैं। उन पर आरोप है कि वह अस्पताल की ओपीडी में दिखाने आये मरीजों को सही परामर्श व की बजाय अपनी क्लीनिक पर बुलाकर इलाज करने का दावा करते थे। आरोप है कि वहां पर जब मरीज फंस जाता था तो मंहगी जांच कराने के नाम पर शुल्क वसूलते थे। इस मामले की शिकायत मरीज ने लिखित तौर पर सीएम से की है। प्राइवेट मामले की जांच के आदेश महानिदेशक को दिए गए हैं।
रायबरेली के रहने वाले मरीज सुभाष पांडेय का इलाज सिविल अस्पताल के एक वरिष्ठ आर्थोपैडिक सर्जन से चल रहा था। मरीज का आरोप है करीब एक महीने पहले वह सिविल अस्पताल की ओपीडी में आर्थोपैडिक डॉक्टर को दिखाने गया था। ओपीडी में लाइन लगने के बाद भी दो घंटे इंतजार करने के बाद भी उसका नंबर नहीं आया। जब कि बाद में आये मरीजों को तत्काल अंदर बुला कर परामर्श दिया जा रहा था। पूछा गया तो बताया कि वह सब पहले से समय लेकर उनको दिखाने आये है। इस पर मरीज ने विरोध किया तो डॉक्टर ने समझा बुझा कर शांत कराया आैर उसे अपनी क्लीनिक पर आने की बात कहकर वापस कर दिया। जब उनकी प्राइवेट क्लीनिक पर गया ,तो वहां पर इलाज के नाम पर काफी अधिक शुल्क ले लिया गया आैर खुद की दवा की दुकान से दवाएं खरीदवाई गयी।
मरीज का आरोप है कि डॉक्टर के घर पर ही प्रैक्टिस करते हैं। जहां पर किसी लेटर पैड पर दवा लिखने के बजाय सादे पर्चे पर अपनी दवाएं लिखते हैं। मरीज ने डॉक्टर के सरकारी पर्चे व प्राइवेट प्रैक्टिस के पर्चे शिकायत संग मु ख्यमंत्री को भेजे दिया है। जहां पर शिकायत के बाद जांच स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजी गयी है। स्वास्थ्य महानिदेशक का कहना है कि मुख्यमंत्री के यहां से अभी तक शिकायती पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। पत्र मिलने पर कमेटी गठित करके जांच कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट में आरोप सही पाये गये, तो कार्रवाई की जाएगी।
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