लखनऊ। सिर्फ एक्सीडेंट और बीमारियां ही इमरजेंसी मेडिसिन में कवर नहीं की जातीं। अब जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा बन गया है। अत्यधिक गर्मी, वायु प्रदूषण, तूफान और बाढ़ के कारण हर साल हजारों लोगों की जान चली जाती है। मौजूदा जलवायु परिवर्तन को नजरंअदाज नहीं किया जा सकता। यह चिन्ता का विषय बनता जा रहा है।
इस पर एक कारगर रणनीति बनाने की आवश्यकता है। यह बात डॉ. हैदर अब्बास ने सोमवार को अंतर्राष्टीय इमरजेंसी मेडिसिन दिवस (27 मई) के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कही।
केजीएमयू के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. हैदर अब्बास का कहा कि लोगों की अज्ञानता के कारण जलवायु में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। इसका सीधा प्रभाव आम आदमी के स्वास्थ्य पर पड़ता है। अगर लोग इस विषय को समझे और कुछ सावधानियां बरतें तो कई प्राकृतिक समस्याओं से बचा जा सकता है।
कार्यक्रम में कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानन्द ने बताया कि इस दिन का उद्देश्य दुनिया की आबादी को इमरजेंसी मेडिसिन देखभाल के बारे में विचार विमर्श करने के लिए एकजुट करना है। कहा कि जलवायु परिवर्तन सभी को प्रभावित कर रहा है और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी इसका असर पड़ता है। वेबिनार में शामिल यूएसए स्टैनफोर्ड के डॉ. प्रवीण कालरा ने बताया कि वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) की 5.8 प्रतिशत हिस्सेदारी हो गई। हैदराबाद के निजाम इंस्टीट्यूट की डॉ. आशिमा शर्मा ने ग्लोबल वार्मिंग और हीट स्ट्रोक से संबंधित बीमारियों के बारे में जानकारी दी।