चार से पांच घर में एक मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति

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लखनऊ। चिंता, तनाव व अवसाद, जैसे मानसिक विकार अब कॉमन बीमारी होने लगी हैं। फिर भी कभी गंभीरता से लिया ही नहीं गया। सर्वे के अनुसार प्रदेश में हर 16 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार हैं या यू कहे हर चार से पांच घर में एक मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति मिल जायेगा। आंकडे दिखाते हैं कि हम शरीर के किसी अंग में होने वाले रोगों को तो वरीयता देते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि मानसिक रोग भी भयावह रूप ले सकता है। यही कारण है मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जबकि यह बीमारी होने पर मरीज लम्बी अवधि तक इसकी जद में रह सकता हैं। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य की जानकारी होनी बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि हम इसे रोग मानते ही नहीं हैं।

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प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे 2015-2016 के आंकड़े दर्शाते है। इसके के लिए बारह राज्यों में किये गए इस सर्वे में प्रदेश भी शामिल किया गया। इस सर्वे के अनुसार प्रदेश में हर 16 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार हैं या यू कहे हर चार से पांच घर में एक मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति मिल जायेगा।वही अगर पदार्थों के इस्तेमाल से होने वाले विकारों की बात करे तो हर दो घरों में एक व्यक्ति इससे ग्रसित हैं। अगर 18 वर्ष की उम्र से ऊपर के लोगों में तो 15 मिलियन लोग मानसिक रोग से ग्रसित हैं । यदि इसमें तंबाकू इस्तेमाल से होने वाले विकारों को भी जोड़ दिया जाये तो यह आंकड़ा 21 मिलियन पहुँच जाता है।

सर्वे में यह भी पाया गया की निम्न आय वर्ग में आने वाले दस में से एक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्या से गुज़र रहा है। वही उच्च आय वर्ग में बीस लोगों में एक व्यक्ति में यह समस्या पाई गयी। निम्न आय वर्ग में ज्यादा संख्या का कारण आजीविका चलाने का भार और स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच में कमी पायी गयी वही गाँव की अपेक्षा शहर में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं तीन गुना ज्यादा पाई गयी। इसका मुख्य कारण शहर की तेज़ रफ़्तार वाली जिंदगी, आर्थिक अस्थिरता, रहन-सहन के तरीके हैं। वही 40 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं में भी सामान्य रूप से सबसे ज्यादा मानसिक स्वास्थ्य विकारों का खतरा पाया गया जैसे डिप्रेशन व एंग्जायटी उसका कारण शरीर में होने वाले बदलाव विशेष तौर पर जब मासिक धर्म (मेनोपॉज) बंद होने के समय लगभग 85 प्रतिशत मानसिक रोग से ग्रसित लोग किसी तरह का इलाज़ नहीं ले रहे हैं और 70 से 80 प्रतिशत मानसिक रोग से ग्रसित लोग पारंपरिक तरीके से इलाज़ करवा है। इसका कारण जानकारी का अभाव, लोगों के सामने बात आने का डर, पैसे की तंगी व कुशल डॉक्टरों की कमी हैं।

राज्य स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य अधिकारी डा. सुनील पांडे बताते है कि प्रदेश में मानसिक रोगियों को सही उपचार मिले, इसके लिए वर्ष 2015 में 12 जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र की शुरुआत की गयी अभी 45 जिलों में कार्यक्रम चल रहा हैं और बाकी जिलों में प्रशिक्षित डॉक्टरों के माध्यम से ओपीडी चालू है।  मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति के हितों को ध्यान में रखते हुए ही मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम 2017 लागू किया गया प्र् इस अधिनियम का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य और बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना हैं और मानसिक बीमारी से जुड़ी भ्रांतियों को कम करना। यह अधिनियम प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को पाने का अधिकार देता है । ऐसी सेवाएं प्रदान करेगा जो अच्छी गुणवत्ता, सुविधाजनक, सस्ती और सुलभ हो । यह अधिनियम ऐसे लोगों को अमानवीय उपचार से बचाने, मुफ्त कानूनी सेवाए दिलवाने का अधिकार देता हैं व मानसिक बीमारी वाले प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा के साथ जीने का अधिकार देता है।

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