लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के क्वीनमेरी हास्पिटल के डॉक्टरों ने खून की कमी से पीड़ित का जटिल सर्जरी करने नयी जिंदगी दे दी है। सर्जरी में महत्वपूर्ण यह है कि गर्भवती के ग्रुप का ब्लड केजीएमयू के ब्लड बैंक में नहीं था। डॉक्टरों ने विशेष तकनीक दूसरे ग्रुप का ब्लड चढ़ाकर सर्जरी की आैर कर गर्भवती की जान बचा ली।
बंथरा निवासी सोनिया (बदला हुआ नाम) को 20 दिन पहले प्रसव पीड़ा होने के साथ ही ब्लीडिंग होने लगी। आनन-फानन परिजन गर्भवती को लेकर स्थानीय अस्पताल पहुंचे। वहां से डाक्टरों ने जांच के बाद मरीज को क्वीनमेरी रेफर कर दिया गया था। क्वीनमेरी इमरजेंसी में गर्भवती को डॉ. रेखा सचान ने जांच पड़ताल कराने के बाद इलाज शुरू करा दिया। जांच में मरीज का ब्लड ग्रुप बी नेगेटिव का निकला। इसके साथ ही उसका हीमोग्लोबिन 2.8 ग्राम था। डा. रेखा ने बताया कि गर्भवती की हालत गंभीर हो रही थी। पल्स डूब रही थी। जांच में पता चला कि बच्चेदानी फट चुकी थी,जिसके कारण ब्लीडिंग हो रही थी।
डॉ. रेखा सचान ने बताया कि बी नेगेटिव ग्रुप का खून उस वक्त ब्लड बैंक में सिर्फ एक यूनिट ही था। जो कि कम था। काफी प्रयास के बाद भी बी नेगेटिव ग्रुप का खून नहीं मिला। ऐसे में विचार विमर्श करने के बाद मरीज को ओ नेगेटिव ग्रुप का खून चढ़ाकर सर्जरी करने का निर्णय किया गया। उन्होंने बताया कि बदले ग्रुप का खून चढ़ाकर ऑपरेशन किया गया। प्रसव के साथ बच्चेदानी को दुरुस्त किया गया। पांच यूनिट खून चढ़ाया गया। एक यूनिट खून ओ नेगेटिव ग्रुप का चढ़ाना पड़ा। दो यूनिट प्लाज्मा और दो यूनिट प्लेटलेट्स भी चढ़ाया गया। 14 दिन बाद मरीज को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। उनकी टीम में डॉ. पुष्पलता शंखवार व डॉ. मंजू लता वर्मा शामिल थीं।