लखनऊ। मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए डॉक्टर से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ व स्वास्थ्य कर्मचारियों तक का महत्वपूर्ण सहयोग देने की आवश्यकता होती है। चिकित्सा की आधुनिक तकनीक को इलाज में उपयोग करना चाहिए। इससे मरीजों को मरीजों को बाहर इलाज के लिए जाना नहीं पड़ता है। इसके लिए समय-समय पर कार्यशाला से ही आधुनिक अपडेट का आदान-प्रदान संभव है।प्रदेश सरकार सरकारी संस्थानों की हर संभव मदद के लिए तैयार है। यह बातें प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान व मस्क्यूलोस्केलेटल सोसायटी इंडिया की ओर से आयोजित 11 वीं राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी अस्पताल व मेडिकल संस्थान में लगातार आधुनिक चिकित्सा तकनीक को अपना रहे हैं। किडनी से लेकर लिवर प्रत्यारोपण कि या जा रहा हैं। जांच के लिए आधुनिक उपकरण सीटी स्कैन, एमआरआई व पेट स्कैन जैसे सुविधाएं बड़े संस्थानों में हो गयी है। किडनी की बीमारी में डायलिसिस की सुविधा मरीजों को मुफ्त दी जा रही है। सरकारी अस्पतालों में निशुल्क सीटी स्कैन कि या जा रहा है। प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोहिया संस्थान को चिकित्सा क्षेत्र में यदि किसी भी प्रकार की आवश्यकता होती है तो मरीज हित में सरकार हर वक्त खड़ी है। कार्यशाला में केजीएमयू नवनिर्वाचित कुलपति व लोहिया की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद सहित अन्य वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।
स्पोर्ट्स इंजरी, मस्कुलर,बोन, न्यूरोलॉजिकल एवं डिजनरेटिव डिसऑर्डर में रेडियोलॉजी जांच से सटीक पहचान
लखनऊ। कार्यशाला में चंडीगढ़ पीजीआई में रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. महेश प्रकाश ने कहा कि एक्सरे, सीटी, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई और पेट स्कैन से बीमारी की पहचान आसान हो गयी है। पहचान आसान होने से समय पर बीमारी का सटीक इलाज भी होने लगता है। उन्होंने कहा कि अार्थो, मांसपेशियों में दिक्कत व कैंसर जैसी बीमारी की पहचान रेडियोलॉजी जांच से आसान हो गयी है।
मस्कुलोस्केलेटल सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. अभिमन्यु केलकर ने कहा कि स्पोर्ट्स इंजरी, मांसपेशियां, हड्डी, न्यूरोलॉजिकल एवं डिजनरेटिव डिसऑर्डर में रेडियोलॉजी जांच से बीमारी की शुरुआत में ही पहचान संभव है।
लोहिया संस्थान में रेडियोलॉजी विभाग व कार्यक्रम के सचिव डॉ. समरेंद्र नारायण ने कहा कि क्लीनिकल क्षेत्र में लगातार हो रहे अपडेट की सही जानकारी व प्रशिक्षण कार्यक्रम जरूरी है। उन्होंने कहा कि अल्ट्रासाउंड समेत दूसरी मशीनों से जांच के साथ इलाज की प्रकिया करना आसान हो गया है। इससे पहले एनॉटमी विभाग में कैडवरिक कार्यशाला भी हुई। कार्यशाला में केजीएमयू नवनिर्वाचित कुलपति व लोहिया की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद सहित अन्य वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।