– बलरामपुर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग का मामला
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लखनऊ। बलरामपुर अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों की जानकारी के बावजूद के नेत्र रोग विभाग में गरीब मरीजों की आंख के सर्जरी के नाम पर वसूली का गेम चल रहा है। इस वसूली के इस गेम में कुछ मरीज आंख की रोशनी तक खो चुके हैं। रोशनी चले जाने के बाद मरीजों ने अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायतें कीं, परन्तु किसी भी जिम्मेदार डाॅक्टर और इस गेम की महत्वपूर्ण कड़ी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई। यही कारण है कि विभाग के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी, एक रिटायर कर्मचारी से लेकर नेत्र रोग डाॅक्टरों के हौंसले बुलंद हैं।
बताते चलें कि सरोजनी नगर निवासी बुजुर्ग रामजीत यादव ने मुख्यमंत्री से लेकर तमाम अधिकारियों से शिकायत की। उनका आरोप है कि मामले पुनर्नियुक्ति पर नौकरी कर रहे डाॅक्टर ने 18 अप्रैल को उनकी आंख का ऑपरेशन किया था। ऑपरेशन के नाम ओटी के बाहर दूसरे कमरे में छह हजार से शुरू हुई वसूली तीन हजार रुपए पर आकर रुकी। मरीज की पत्नी से तीन हजार रुपए लेने के बाद ही ऑपरेशन किया। लेकिन मरीज की आंख की रोशनी नहीं आई तो पीड़ित ने शिकायत की।
सीतापुर रोड स्थित पलटन छावनी निवासी असरफ अली के बेटे राजू (45) का भी 13 अप्रैल को भर्ती करके ऑपरेशन किया गया। पीड़ित का आरोप है कि पुनर्नियुक्ति (संविदा) पर तैनात डाॅक्टर ने ऑपरेशन किया, लेकिन आंख की रोशनी पहले जैसे नहीं आई। राजू ने डाॅक्टर से शिकायत की तो उन्होंने कुछ माह दवा खाने के बाद रोशनी आने की बात कहते हुए मरीज को चलता कर दिया।
ऐसा ही मामला फरवरी के शुरुआती सप्ताह में मलिहाबाद के मोहम्मद नगर निवासी राम खेलावन के साथ हुआ। बलरामपुर ने नेत्र रोग विभाग की महिला डाॅक्टर ने पांच फरवरी को ऑपरेशन किया। सात को पट्टी खोली गई तो उसकी आंख की रोशनी नहीं आई। उसने महिला डाॅक्टर को बताया तो गुपचुप तरीके से मामला दबाते हुए सिंगार नगर के एक नेत्र अस्पताल में मरीज को भेज दिया।
वहां मरीज से 10 हजार रुपए लेकर महिला डाॅक्टर ने ऑपरेशन किया। इस मामले में पीड़ित ने बलरामपुर अस्पताल में शिकायत की थी, लेकिन अस्पताल में कोई सुनवाई नहीं हुई।
ऐसे कई मामले होने और अस्पताल के आला अफसरों द्वारा सख्त कार्रवाई न करने से ही बलरामपुर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में ऑपरेशन, लेंस और चश्मा बनवाने के नाम पर लंबे समय से खेल चल रहा है। बलरामपुर के अफसर चुप्पी मारकर बैठे हैं।