लखनऊ। वेंटिलेटर पर जिंदगी के लिए जूझ रही मनीषा के अंतिम पलों में हर पल उसके साथ थे, रात में ही उसके सहयोगी साथी क्रिटकल केयर यूनिट पहंुच कर उसका हाल चाल ले रही थी। सुबह से कई साथी एक पल को भी नहीं हटे थे। सभी उसकी बेहतरी के लिए दुआ कर रहे थे, परन्तु दोपहर में उसकी जिंदगी की डोर टूटी तो सभी साथ एक पल को स्तब्ध रह गये। क्रिटकल केयर यूनिट से बाहर उसका शव स्ट्रेचर पर आया तो उसकी सहयोगी साथियों ने पुष्प अर्पित करके उसके श्रंद्धाजलि देकर नम आंखों से विदायी दी।
क्वीन मेरी में दिन- रात ड्यूटी में साथ रहने वाली डाक्टर रो रही थी। उन्हें एक पल को यकीन को यकीन नहीं हो रहा था कि कल तक साथ में ड¬ूटी करने वाली मनीषा अचानक इतनी कमजोर कैसे पड़ गयी कि उसने आत्महत्या कर ली। क्वीन मेरी से दर्जनों की संख्या में उसके सहयोगी साथी मौजूद थी। दोपहर में मौत की सूचना पाकर कई वरिष्ठ डाक्टर भी पहंुच गयी। सभी आंखे नम थी, तो कुछ रो रही थी। क्रिटकल केयर यूनिट से जैसे उसका शव स्ट्रेचर से बाहर आया तो उसके साथ की कई डाक्टरों ने पुष्प अर्पित किये आैर अंतिम विदायी के लिए बाहर सभी साथ हो लिए।
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