लखनऊ। संजयगांधीपीजीआई में चिकित्सा सुविधाओं को अौर आधुनिक करने की कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही संस्थान में लिवर प्रत्यारोपण व इससे जुड़ी बीमारियों के उच्चस्तरीय चिकित्सा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह बात डॉ. राधा कृष्ण धीमान ने पीजीआई का निदेशक बनने के बाद फोन पर हुई बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि वह पीजीआई आैर केजीएमयू में अध्ययन कर चुके है। ऐसे में पीजीआई से पुराना रिश्ता भी है।
बताते चले कि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने शनिवार की शाम डॉ. धीमान को पीजीआई का निदेशक नियुक्त करते हुए आदेश जारी कर दिया। उनकी नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से लेकर पांच वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक वह संस्थान के निदेशक बने रहेंगे। डॉ. धीमान ने केजीएमयू से एमबीबीएस व एमडी करने के बाद पीजीआई से गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग से डीएम किया। उसके बाद वह अमेरिकन कॉलेज ऑफ गैस्ट्रोइंटोलॉजी (एफएसीजी) और नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज (एफएएमएस) के फेलोशिप की है। डॉ. धीमान ने करीब 150 से अधिक शोध पत्र और पुस्तक लिखें हैं। उनका मुख्य शोध कार्य यकृत एन्सेफैलोपैथी, पोर्टल उच्च रक्तचाप, वायरल हेपेटाइटिस और पित्त रोगों के क्षेत्रों में रहा है। वह इंडियन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोइंटोलॉजी के एसोसिएट एडिटर हैं। वह जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी के एडिटर-इन-चीफ हैं।
अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.