लखनऊ ।अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विभिन्न चिकित्सा संस्थान व सामाजिक स्थलों पर योग कराये जाए। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में योग प्रदर्शन कार्यक्रम का साइंटिफिक कंवेंशन सेण्टर में किया गया। इसी क्रम अपराह्न 2:00 बजे कलाम सेन्टर में योगा फॉर मेडिकल प्रैक्टिशनर शीर्षक पर व्याख्यान में कुलपति प्रो. मदनलाल ब्राह्म भट्ट ने कहा कि योग की पद्धति ऐसी है जिसके माध्यम से हम अपने जीवन स्तर को उच्च स्तर तक ले जा सकते है। योग विद्या में 100 से अधिक योग विद्याएं एवं पद्धति है। योग विद्या के सारे पहलुओं को जीवन में उतार कर अपने जीवन यात्रा में सुलभता से आगे बढ़ाना सुनिश्चित करते हैं और अपनी वृृत्ति पर नियंत्रण करते हैं।
निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. केके गुप्ता ने कहा कि चिकित्सक का व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय होता है जिसमें मानव सेवा स्वत: ही निहित है। कार्यक्रम में योगदा समाज के मुख्य वक्ता नवल चंद्र पंत ने कहा की मानव जीवन का लक्ष्य हर परिस्थिति में सुख को प्राप्त करना है। और यह परम सुख संसारिक वस्तुओ से नही प्राप्त किया जा सकता है। इस सुख को प्राप्त करने के लिए तीन आवश्यक वस्तुये है। प्रथम वस्तु सबसे बड़ा महत्वपूर्ण शरीर दूसरा किसी तरह की योग पद्धति, और तीसरा उस पद्धति को सीखने के लिए गुरू। सारी योग पद्धतियों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि सभी स्वांस पर नियंत्रण करना सिखाती है।
आर्ट ऑफ लिविंग के तनूज नारायण ने कहा की स्वास्थ्य का तात्पर्य स्व में स्त। अस्तीत्व के सात स्तर होते है। शरीर, स्वांस, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार और आत्मा। बीमारीयो ंका कारण मन है। फिजियोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. सुनीता तिवारी ने कहा कि चिकित्सा विश्वविद्यालय में योग पर फिजियोलॉजी विभाग द्वारा रिसर्च किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त गोमतीनगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, बलरामपुर अस्पताल में सुबह छह से सात बजे तक योगाभ्यास कराया गया। बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी काम्पलेक्स में योगाभ्यास की विडीयोग्राफी करायी गयी।
इंस्टीट्यूट ऑफ आयुष मेडिकल साइंसेज में योग के माध्यम से निरोग रहने के महत्व को बताया गया, इसमें डा. अरुण तिवारी, डा. रतनेश सिंह आैर डा. खुशबू सिंह सहित कई चिकित्सकों ने भाग लिया। निरालानगर स्थित रामकृष्ण मठ में योगाभ्यास कराया गया। मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानंद ने बताया कि पिछले एक माह से लगातार लोगों को योग सिखाया जा रहा था।