लखनऊ। गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में असाध्य रोग के गरीब मरीजों के इलाज ठप हो गया है। असाध्य रोग का बजट न मिलने के बाद खुद का भी करोड़ों रुपये खर्च के बाद अब संस्थान ने वित्तीय हालत को कमजोर बताने लगा हैं। इस कारण जटिल बीमारी के गंभीर मरीज इलाज न मिलने से वापस लौटने के लिए मजबूर हो गये है। बताते चले कि 1072 बिस्तरों वाले इस संस्थान में सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा भी मौजूद है। यहां पर दुर्बल आय वर्ग के मरीजों का असाध्य रोग योजना के तहत निशुल्क इलाज होता है। बताया जाता है कि कई महीनों से प्रस्ताव भेजने के बाद भी असाध्य रोग का बजट नहीं आया है। ऐसी हालत में संस्थान ने गरीब गंभीर मरीजों का इलाज संस्थान के बजट से करता रहा। खुद का करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद बजट जारी नहीं किया जा रहा है। खुद की वित्तीय स्थिति चरमराती देख संस्थान में मरीजों के इलाज करने में टाल मटोल करना शुरू कर दिया है।
संस्थान में असाध्य रोग यूनिट में 60 मरीजों का इलाज करने का प्रस्ताव पास हो चुका है। परन्तु बजट न होने से फाइल रखी हैं। ऐसे में कार्डियक, लिवर, किडनी व कैंसर के मरीज अपने तीमारदारों संग भटकने को मजबूर हैं। उनकी तबियत लगातार बिगड़ रही है। अगर आंकड़ों को देखा जाए तो लोहिया संस्थान को वर्ष 2018-19 में असाध्य रोग बजट नौ करोड़ रुपये मिला था। वहीं अब वर्ष 2019-20 में आठ करोड़ ही मिला। इसके साथ ही जटिल बीमारियों मरीजों की संख्या भी बढ़ गयी। संस्थान ने लगभग तीन करोड़ रुपये अपने बजट से दे दिया। परन्तु अब उसे अपना बजट से धनराशि संस्तुति करने से मना कर दिया है। लोहिया संस्थान के निदेशक डा. ए के त्रिपाठी ने बताया कि असाध्य रोग का पैसा नहीं मिल पाया है। करीब तीन करोड़ रुपये संस्थान के भी खर्च हो गए। रिमाइंडर भेजकर पैसा मांगा गया है।
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