लखनऊ। पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी) महिलाओं में लगातार बढ़ रही है। अमूमन यह 18 से 40 वर्ष में हो रही है। अगर आंकड़ों को देखा जाए, तो दस में चार महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ रही है। इस बीमारी में महिला की लम्बे समय तक माहवारी रूक जाती है आैर वजन बढ़ने लगता है। अक्सर शरीर में असामान्य रूप से अधिक बाल आने लगते है। यह जानकारी वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. तृप्ति बंसल ने दी। उन्होंने बताया कि अगर 18 से 40 वर्ष उम्र में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर व मोटापा हो, तो उसे यह बीमारी होने की ज्यादा संभावना रहती है। डा. बंसल बताती है कि अगर समय पर लक्षणों को पहचान कर इलाज शुरू किया जाए, तो बीमारी ठीक हो सकती है।
उन्होंने बताया कि इस बीमारी में देखा गया है कि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा खान- पान का समय तय नहीं होता है। अनियमित दिन चर्या, खानपान इसका प्रमुख कारणों में एक है। डा. बंसल ने बताया कि ज्यादातर इस उम्र की किशोरियों या युवतियों में ज्यादातर यह बीमारी माहवारी रूकने से शुरु होती है। समय पर ध्यान न देने पर ओवरी में सिस्ट बन जाती है। यह सिस्ट एक प्रकार की थैली होती है, जिसमें एक प्रकार का फ्लूड भरा होता है। जो कि पीसीओडी बीमारी बन जाती है। उन्होंने बताया कि समय पर सही इलाज न होने पर पीड़ित महिला की त्वचा तैलीय हो जाती है आैर अगर इलाज में देर हो जाए, तो कार्डियक या कैंसर बीमारी का खतरा बना रहता है। इस कारण मातृत्व सुख होने में दिक्कत हो जाती है।
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