लखनऊ। कार्तिक शुल्क पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी, धात्री नवमी या आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष अक्षय नवमी पंचांग में समय भेद के कारण 30 और 31 अक्टूबर को है। ज्योतिषाचार्य एस एस नागपाल ने बताया कि चिंताहरण पंचांग अनुसार शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का प्रारम्भ 30 अक्टूबर गुरुवार को प्रात: काल 10:06 से होगा। नवमी तिथि का समापन 31 अक्टूबर, शुक्रवार को प्रात:काल 10:03 पर नवमी तिथि समाप्त होगी।
नवमी तिथि पर वृद्धि और रवि योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं. वृद्धि योग का संयोग सुबह 06 बजकर 17 मिनट लगभग से पूर्ण रात्रि तक है. साथ ही रवि योग दिन भर है. अक्षय नवमी पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है ठाकुर दास पंचांग अनुसार अक्षय नवमी 30 अक्टूबर को है। मान्यता है कि इस दिन सतयुग की शुरूवात हुई थी। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु का ध्यान करके आंवले के पेड़ की अक्षत्र, पुष्प, चंदन आदि से कच्चा धागा बांध कर सात बार परिक्रमा की जाती है।
मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी लोक में इस नवमी पर लक्ष्मी माता ने भगवान विष्णु की उपासना आंवले के रूप में की थी इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने का भी महत्व है। आंवला वृक्ष की पूजा करने से घर में सुख-शान्ति, संतान सुख की प्राप्ति होती है। आंवला भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। आंवला में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है इसके सेवन से निरोग रहते है। आंवला वृक्ष के पूजन का शुभ मुर्हूत 31 अक्टूबर को प्रातः 06ः15 से दिन 10 :03 तक है।












