अक्ल दाढ़ लगती है यहां

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लखनऊ। अगर दबी अक्ल की दाढ़ न निकल पा रही हो, तो किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के दंत संकाय के विशेषज्ञ डाक्टर उसे निकाल कर लगा सकते है। इसी प्रकार दूध के दांत अगर सही नही निकले तो उन्हें भी ठीक किया जा सकता है। इस जटिल टूथ ट्रांसप्लांट में विशेषज्ञ डाक्टरों ने अब तक तीन बार ट्रांसप्लांट करने में सफलता प्राप्त कर ली है। इसके अलावा बचपन में गलत तरीके से निकले टूथबड को सही तरीके लगाने में विशेषज्ञ डाक्टर ट्रांसप्लांट करने में सफलता प्राप्त कर ली है।

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दंत संकाय के वरिष्ठ प्रास्थोडाटिस्ट डा. लक्ष्य यादव बताते है कि अक्सर लोगों के दांत आगे-पीछे या क्रम से नहीं लगे होते है आैर मरीज को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। काफी लोगों में अक्ल दाढ भी नहीं निकलती है, लेकिन अंदर दबी होती है। ऐसे में दबी अक्ल दाढ़ यानी थर्ड मोलर को अंदर से निकाल सही जगह से निकाल लगा दिया जाता है। उन्होंने बताया कि यह ट्रासप्लांट काफी जटिल होता है क्योंकि दबी अक्ल दाढ़ को पहचान कर निकाल लगाना काफी जटिल कार्य होता है।

उन्होंने बताया कि अभी इस प्रकार के ट्रांसप्लांट को देश के बहुत मेडिकल कालेजों में किया जा रहा है। प्रदेश में केजीएमयू के अलावा प्रदेश में अभी ट्रासप्लांट निजी क्षेत्र में ही बहुत कम यूनिट में हो पाता है। जहां पर खर्च काफी आता है, लेकिन केजीएमयू में करने में बहुत कम आता है। अभी तीन लोगों की अक्ल दाढ़ निकाल कर लगायी जा चुकी है। इसके अलावा दूध के दांत यानी टूथ बड भी अक्सर सही जगह नहीं निकल कर लगते है आैर ऐसे में इन दांतों भी निकाल कर सही क्रम में लगा दिया जाता है।

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