लखनऊ । आठ घंटे में इलाज के अभाव में चार मरीजों की मौत का आखिरकार जिम्मेदार कौन होगा। सबसे दर्दनाक मौत तो अयोध्या से आयी 13 महीने की मासूम की हो गयी। ट्रामा सेंटर में इलाज न होने पर उसे तत्काल आक्सीजन की कमी महसूस होने लगी आैर उसे इलाज भी नहीं मिल पा रहा था। परिजन लगातार इलाज व आक्सीजन केलिए अनुरोध कर रहे थे, इस बीच तरस खाकर निजी एम्बुलेंस चालक ने अपना आक्सीजन सिलेंडर तो दे दिया, लेकिन तब तक उसी सांसे थम चुकी थी। उसके परिजन मासूम को गोद में लिए बिलख रहे थे आैर उस वक्त को कोस रहे थे कि हड़ताल के दौरान पहुंच गये।
इसकी प्रकार शाहजहां पुर से आयी संध्या, लखीमपुर से हरीलाल सहित चार मरीजों की मौत इलाज के अभाव हो गयी। इनके परिजनों ने इलाज कराने की हरसम्भव कोशिश की। नारे बाजी आैर प्रदर्शन के बीच इनकी कोशिश दब कर रही गयी। इसके अलावा अन्य मरीज भी इलाज के लिए एम्बुलेंस में इतंजार करते रहे, लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिला। ज्यादातर लोग बलरामपुर अस्पताल गये, वहां स्थान नहीं मिला तो निजी अस्पताल चले गये। आठ घंटे बाद हड़ताल भी समाप्त हो गयी, लेकिन इलाज के अभाव में चार मरीजों की मौत से परिजन हलकान हो गये। जो बाहर बैठे तो वह दुआ कर रहे थे कि हड़ताल जल्द समाप्त हो जाए।
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