Kgmu: साथी डाक्टर पर वरिष्ठ महिला डाक्टर का उत्पीड़न का आरोप, जांच शुरू

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में वरिष्ठ महिला प्रोफेसर के उत्पीड़न की शिकायत से अधिकारियों में हड़कम्प मच गया है। विभाग के ही एक पुरुष डॉक्टर पर अभद्रता व उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

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महिला आयोग में शिकायत होने के बाद केजीएमयू प्रशासनिक अधिकारियों ने जांच कराने के निर्देश दिये है। केजीएमयू प्रशासनिक अधिकारियों ने विशाखा कमेटी गठित करके शिकायत की जांच करने के निर्देश दिए हैं। कमेटी की पहली बैठक 27 नवम्बर को हुई, जिसमें कमेटी ने पीड़ित प्रोफेसर का पक्ष दर्ज किया है।

बताते चले कि पीड़ित प्रोफेसर ने राज्य महिला आयोग को आठ नवम्बर को शिकायत पत्र भेजा, जिसमें पीड़िता ने सत्रह अक्तूबर को विभागीय परचेज कमेटी की बैठक का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि बैठक के बाद पुरुष डॉक्टर ने महिला प्रोफेसर का उत्पीड़न किया। रास्ते में जबरदस्ती रोकने का भी आरोप है। शिकायत में कहा गया है कि घटना के तुरंत बाद पीड़िता ने केजीएमयू शिक्षक संघ के पदाधिकारियों को इस घटना की जानकारी दी।

महिला प्रोफेसर का कहना है कि आरोपी लगातार उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है।
इसके बाद पीड़िता ने केजीएमयू प्रशासन से भी शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगायी, लेकिन केजीएमयू में महिला कुलपति होने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। काफी समय कोई एक्शन न होने के बाद भी पीड़ित महिला प्रोफेसर ने राज्य महिला आयोग में शिकायत की। उसके बाद केजीएमयू अधिकारियों में हड़कम्प मच गया है। आनन-फानन प्रकरण को विशाखा कमेटी सौप दिया आैर जांच के निर्देश दिए। 27 नवम्बर को विशाखा कमेटी की बैठक में पीड़िता प्रोफेसर, आरोपी डॉक्टर के साथ अन्य अधिकारियों को बुलाया चीफ प्रॉक्टर कार्यालय बुलाया गया था। सभी के बयान दर्ज किए गए। केजीएमयू में वरिष्ठ महिला प्रोफेसर के साथ पहली बार इस तरह की घटना घटी है।

विशाखा कमेटी की अध्यक्ष डॉ. मोनिका कोहली, चीफ प्रॉक्टर, आरएएस कुशवाहा, सदस्य डॉ. रेखा सचान, डॉ. सुजाता देव, डॉ. मनीष वाजपेई, डॉ. मौसमी सिंह व एनजीओ की सदस्यों को बुलाया गया।
बताते चले कि रेजिडेंट, छात्रा, कर्मचारी और मरीज-तीमारदारों के बाद केजीएमयू की वरिष्ठ प्रोफेसर का भी उत्पीड़न किया जा रहा है। केजीएमयू कुलपति व कुलसचिव घटनाओं पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। इसका खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। यह आंतरिक कानून-व्यवस्था का भी आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।

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