kgmu: लिम्ब सेंटर में 54 वर्ष पहले दिव्यागों के लिए बना वुडन हाल तोड़ने की तैयारी

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लखनऊ। केजीएमयू के लिंब सेंटर स्थित डी पी एम आर विभाग का 54 वर्ष पुराना वुडन हाल को तोड़ करके HRF का सेंट्रल ड्रग स्टोर का निर्माण होने जा रहा है । इसके टूटने से दिव्यांग रोगियों के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान साबित होगा। इसी वुडन हाल पर प्रेक्टिस करके दिव्यांगों ने पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल भी जीते थे। आश्चर्य की बात तो यह है जो विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस वुडन हाल की महत्वता को जानते हैं वह भी खामोश हैं।

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बताते चले कि इस वुडन हाल जिसका निर्माण 1971 में बंग्लादेश वार के समय तत्कालीन केंद्र सरकार ने एक करोड़ रुपए लिंब सेंटर निर्माण के वक्त दिए थे । तब इस लकड़ी हाल का निर्माण हुआ था उस वक्त और वर्तमान में इतना बड़ा और उपयोगी वुडन हाल पूरे भारत के किसी भी दिव्यांग जन संस्थान में नहीं है।

इसका उद्देश्य ये है कि इस हाल में दिव्यांगजनों को बैडमिंटन, टेबल टेनिस, व्हील चेयर रेस की ट्रेनिंग खास रूप से दी जा सके इसी हाल की बदौलत 1973, 1977, 1994 के बर्लिन, टोक्यो इत्यादि में संपन्न हुए पैरा ओलंपिक में बैडमिंटन, टेबल टेनिस, व्हील चेयर रेस तथा amputee दौड़ में बनवारी, शाकिर अली मोहन लाल जैसे दिव्यांग ने 3 गोल्ड मेडल जीत कर भारत का नाम रौशन किया था ये दिव्यागों को ट्रेनिंग इसी हाल में दी गई थी। इस हाल की विशेषता ये है कि इसके निर्माण में कोई भी कील नहीं लगाई गई थी उसका कारण ये था कि पैराप्लेजिया मरीजों जिनकी चुभने का अहसास नहीं होता है उनको ट्रेनिंग के वक्त कोई कील इत्यादि न चुभे इसलिए ये पूरे भारत का अदभुत और उपयोगी एक मात्र वुडन हाल है जिसमें दिव्यांगजनों को खेल कूद की ट्रेनिंग दी जाती रही है और अब इस हाल को नष्ट किया जा रहा है।
जो नियम विरुद्ध इस लिए भी है कि शासनादेश मेभी स्पष्ट लिखा गया है कि इस केंद्र का उपयोग केवल और केवल दिव्यांग जन के कृत्रिम अंग और दिव्यांगजनों संबंधित कार्यों केलिए ही किया जाएगा।

बताया जाता है कि केजीएमयू के अधिनियम में भी स्पष्ट लिखा है कि केजीएमयू के द्वारा इस विभाग के अधिग्रहण से पूर्व और अधिगृहण के बाद इस लिंब सेंटर विभाग जा उपयोग उसी काम के लिए होगा जो अधिग्रहण से पूर्व था। जिस हाल से दिव्यांग लोगों ने गोल्ड मेडल जीते वो भी नेस्तनाबूत हो जायेगा।

चर्चा है कि ,यह नियम विरुद्ध कार्य रोकने की मांग की जा रही है । HRF को इतनी बड़ी बिल्डिंग में जगह है कहीं और ले जाएं साथ जब ये बिल्डिंग का आर्थोपेडिक विभाग अब अपनी बिल्डिंग में शिफ्ट हो गया है तो अब पूरी बिल्डिंग पी एम आर को दी जाए जिस से पी एम आर विभाग का और विस्तार हो सके।

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