UP में बनेगा आउटसोर्स सेवा निगम

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के श्रम अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम के गठन को मंजूरी प्रदान की है।

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मुख्यमंाी ने गुरुवार को यहां एक उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि यह निगम प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के जीवन में स्थायित्व और भरोसा सुनिश्चित करेगा। उन्होने प्रस्तावित निगम की कार्यप्रणाली, संरचना और दायरे पर विस्तृत विचार-विमर्श करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और साफ किया कि राज्य सरकार श्रमिकों के श्रम, सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए कृतसंकल्पित है और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के सामाजिक व आर्थिक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।

उन्होने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में आउटसोर्सिंग एजेंसियों का चयन विकेन्द्रीकृत तरीके से होता है, जिसके कारण समय पर वेतन न मिलना, वेतन में कटौती, ईपीएफ/ईएसआई लाभों से वंचित रहना, पारदर्शिता की कमी और उत्पीड़न जैसी अनेक शिकायतें मिलती हैं। इस परिप्रेक्ष्य में संपूर्ण व्यवस्था में व्यापक सुधार आवश्यक है।

मुख्यमंाी ने निर्देश दिए कि प्रस्तावित निगम का गठन कंपनी एक्ट के तहत किया जाए। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और एक महानिदेशक की नियुक्ति की जाएगी। मंडल व जिला स्तर पर भी समितियों का गठन किया जाएगा। एजेंसियों का चयन जेम पोर्टल के माध्यम से न्यूनतम तीन वर्षों के लिए किया जाएगा। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि वर्तमान कार्यरत कार्मिकों की सेवाएं बाधित न हों और चयन प्रक्रिया में उन्हें अनुभव के आधार पर वेटेज मिले।

योगी ने निर्देशित किया कि सभी आउटसोर्सिंग कार्मिकों का पारिश्रमिक प्रत्येक माह की 05 तारीख तक सीधे उनके बैंक खाते में भेजा जाए तथा ईपीएफ और ईएसआई की रकम समय से जमा हो। साथ ही ईपीएफ, ईएसआईसी तथा बैंकों से अनुमन्य सभी लाभ भी कर्मचारियों को प्रदान किए जाएं।

मुख्यमंाी ने स्पष्ट किया कि निगम को रेगुलेटरी बॉडी की भूमिका में रखा जाए जो एजेंसियों की कार्यप्रणाली की निगरानी करे और नियमों के उल्लंघन पर ब्लैकलिसिं्टग, डिबारमेंट, पेनाल्टी एवं वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित करे।
प्रस्तावित निगम द्वारा की जाने वाली सभी नियुक्तियों में एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, महिला, दिव्यांगजन और पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण प्रावधानों का पूर्णत: पालन किया जाएगा। मुख्यमंाी ने निराश्रित, तलाकशुदा व परित्यक्ता महिलाओं को भी प्राथमिकता देने की बात कही है।

उन्होने यह भी निर्देश दिए कि नियमित पदों के विरुद्ध कोई भी आउटसोर्सिंग सेवा नहीं ली जाए। चयन के बाद कोई भी कार्मिक तब तक सेवा से मुक्त न किया जाए, जब तक संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी की संस्तुति न हो।
मुख्यमंाी ने कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक कर्मचारी की गरिमा, सुरक्षा और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम प्रदेश की प्रशासनिक प्रणाली में एक नई पारदर्शिता और जवाबदेही का अध्याय जोड़ेगा। इससे न केवल राज्य के लाखों आउटसोर्सिंग कर्मियों को लाभ मिलेगा, बल्कि प्रशासनिक दक्षता भी बढ़ेगी।

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