लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में मरीजों को बाहर से दवा लिखने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई की कवायद शुरू कर दी गयी है। इसके लिए केजीएमयू प्रशासन ने डॉक्टर द्वारा पर्चे पर लिखी दवा का ऑडिट शुरू करा दिया है। इसकी शुरुआत आर्थेापैडिक विभाग से हो गयी है। अपनी खास दवा कंपनियों की मेडिसिन लिखने वाले डॉक्टरों को चिंह्नत कि या जाएगा।
दरअसल मरीजों को सस्ती व गुणवत्तापरक दवाएं देने के लिए एचआरएफ के काउंटर खोले गए हैं। इसके बाद भी डॉक्टर मरीजों को बाहर की कम्पनियों की दवाएं लिख रहे हैं। इसका खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। यह मरीज महंगी दबाएं खरीदने को मजबूर हो जाते हैं, जबकि एचआरएफ के काउंटर पर नामचीन कंपनियों की दवाएं, स्टंट व सर्जिकल सामान उपलब्ध हैं।
इसके बावजूद सॉल्ट के बजाए ब्रांड नाम से दवाएं मरीजों को खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। काफी संख्या में डॉक्टर मरीजों को बाहर की जांच, दवा और सर्जिकल लिख रहे है। वैस्कुलर सर्जरी विभाग के एक डॉक्टर की शिकायत मरीज ने की थी। बाकायदा पर्चे आदि बतौर सुबूत पेश करने पर केजीएमयू प्रशासन ने जांच कमेटी गठित की, लेकिन अभी तक आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। आडिट में डाक्टर एचआरएफ की दवा लिख रहे हैं या नहीं खास कंपनी की दवा तो नहीं लिखी जा रही है क्या बाहर की लिखी गई दवा एचआरएफ में उपलब्ध नहीं है,
साल्ट के बजाए ब्रांड नेम तो नहीं लिखा है। केजीएमयू प्रवक्ता डा. के के सिंह का कहना है कि केजीएमयू प्रशासन ने प्रिसक्रप्शन ऑडिट की शुरुआत आर्थोपैडिक विभाग से की गयी है। दो सदस्यीय कमेटी मरीजों के लिखे गए पचों की पड़ताल कर रही है। मरीजों को बाहर की दवा लिखने वाले डॉक्टरों की पहचान की जा सकेगी। मरीजों को भी महंगी दवाओं की खरीद से बचायां जा सकेगा।