लखनऊ। सीएआरटी सेल थेरपी ब्लड कैंसर के इलाज के लिए दी जाने वाली एक तरह की इम्यूनोथेरेपी है। इस थेरेपी में मरीज की टी कोशिकाओं को लैब में आंनुवंशिक रुप में संसोधित किया जाता है, ताकि वह कैंसर कोशिकाओं को खोजपहचानकर मार सकें। यह जानकारी आईआईटी मुंबई के प्रो. राहुल पुरवार ने दी। प्रो. पुरवार केजीएमयू के हेमैटोलॉजी विभाग व हेमैटोलॉजी फाउण्डेशन ने क्लीनिकल अपडेट व ओरिएंटेशन कार्यक्रम में बोल रहे थे। दो दिवसीय पाचवें युवा हेमेटोलॉजिस्ट ओरिएंटेशन प्रोग्राम में देशभर से 16 विशेषज्ञों एवं विभिन्न संस्थानों से लगभग 60 प्रतिभागी प्रतिभाग लेने आए।
केजीएमयू कुलपति प्रो सोनिया नित्यानंद ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य युवा छात्रों को हेमेटोलॉजी और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण में हेमेटोलॉजी के कानूनी पहलुओं को जानने एवम रक्त कैंसर के परिवार को परामर्श देने के तरीके की कला को विकसित करना है।
कार्यक्रम में टाटा मेडिकल सेंटर, कोलकाता के पूर्व निदेशक पद्म श्री प्रो. मामेन चाण्डी ने कहा कि हमें यूरोपीय देशों के रिसर्च व डाटा पर निर्भर नहीं रहना है, हमें खुद अपनी रिसर्च करनी होगी तथा अपने तरीके से डाटा इकट्ठा करके उसके अनुरुप भारतीय मरीजों का इलाज करना होगा।
कोलकाता के डा. प्रांतर चक्रवर्ती ने बताया कि हमारे देश में मेडिकल सुविधाओं की कमी व मरीजों की संख्या की अधिकता के कारण ए.आई. जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करना चाहिए। जहां जांचों में कई दिन लग जाते हैं और उन जांचों को देखने के डाक्टर की आवश्यकता पडेगी कि किस प्रकार दिक्कत है, वहीं टेक्नोलॉजी के माध्यम से केवल फोटो के माध्यम से पता लगाया जा सकता है कि क्या बीमारी है। इससे शीघ्र ही मरीज का इलाज शुरु हो जाएगा।
कार्यक्रम में डॉ. संजीव, हेमैटोलॉजी विभाग पीजीआई, डॉ. एस.पी. वर्मा, विभागाध्यक्ष, हेमैटोलॉजी विभाग केजीएमयू आदि वरिष्ठ डाक्टर शामिल थे।