लखनऊ। अक्सर कंधा उतरना, चलते हुए पैर लचक जाना, पैर की कटोरी स्थिर न होने जैसी कई समस्याएं होती हैं,30
इनका एक्स-रे कराने पर सामान्य आता है। एक्स-रे में देखने पर हड्डी सही लगती है,जब कि हकीकत में ऐसा नहीं होता है। ध्यान पूर्वक एक्सरे अध्ययन करने पर समस्या नजर आ जाती है, जिसको सर्जरी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ऑर्थोपेडिक सर्जरी विभाग में आयोजित पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी गयी।
पहली बार उत्तर भारत में आयोजित हो रही इंडियन ऑर्थोस्कोपी एसोसिएशन की कांफ्रेंस की जानकारी देने के लिए आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रो. आशीष कुमार ने बताया कि एक्स-रे में हड्डी जुड़ी हुई नजर आती है, पर इसके साथ ही उसकी आसपास की स्थिति को भी अध्ययन किया जाना चाहिए। इसी से हकीकत में दिक्कत सामने आ सकती है। हड्डी में मामूली अंतर आने पर व्यक्ति सामान्य जिंदगी नहीं जी पाता है। खिलाड़ियों के मामले में जरा सकी चूक उनका कॅरियर ही समाप्त कर सकती है। इसीलिए अब ओपन सर्जरी के बजाय लेप्रोस्कोपिक तकनीक से सर्जरी को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेप्रोस्कोपिक तकनीक की सर्जरी में आंतरिक स्थिति में छेड़छाड़ कम करती है। मरीज सर्जरी के बाद कम समय में ठीक हो जाता है। इस कारण से लेप्रोस्कोपिक तकनीक की सर्जरी को ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है। ऑर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के विभाग प्रमुख प्रो. विनीत शर्मा के साथ ही प्रो. आशीष कुमार, डॉ. शैलेंद्र सिंह और डॉ. कुमार शांतनु उपस्थित रहे।
डॉ. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि इस कांफ्रेंस के दौरान देश-विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टर ज़ुटेंगे। इसमें लेप्रोस्कोपिक तकनीक से होने वाली 30 सर्जरी का लाइव टेलीकास्ट भी किया जाएगा। कैडबर पर सर्जरी की कार्यशाला के साथ ही करीब 250 लेक्चर होंगे। इससे नये डॉक्टरों को काफी कुछ सीखने को मिलेगा। इसका लाभ मरीजों को मिलेगा।