टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने में आगे आये समाज : राज्यपाल

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19 से 24 मार्च तक प्रदेश में मनाया जायेगा टीबी जागरूकता सप्ताह

 

 

 

 

 

 

 

लखनऊ। केजीएमयू में रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग की स्थापना (1946) के 75 वर्ष पूर्ण होने पर “प्लैटिनम जुबली समारोह श्रृंखला के क्षय रोग संगोष्ठी एवं टी वी ग्रसित 22 बच्चों को गोद लेने का कार्यक्रम के.जी.एम.यू. के ब्राउन हाल प्रशासनिक भवन में सम्पन्न हुआ। जिसमें 22 बच्चों को स्टेशनरी, फल, पोषक आहार राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा प्रदान कर गोद लिया गया। ज्ञात रहें कि पूर्व में भी रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग द्वारा 30 बच्चों को गोद लिया जा चुका है और हमें यह बताते हुये प्रसन्नता हो रही है कि ये सभी बच्चे पूर्णतया स्वस्थ्य और रोग मुक्त हैं।

इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती आनंदीबेन पटेल, राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें अपने प्रधानमंत्री के सपने ‘2025 तक टीबी मुक्त भारत को सकार करने हेतु समाज के हर वर्ग को साथ आना चाहिए। उन्होनें बताया कि जब यह मध्यप्रदेश की राज्यपाल के पद कार्यरत थी ,तब उन्होंने प्रदेश में 25 टीबी के मरीजों के देखभाल का निर्णय लिया और कुछ ही समय बाद लगभग 7 से 8 हजार लोगों को गोद लिया गया जिनमें से अधिकतम लोग ठीक हो गये । महामहिम ने कहा कि उप्र में केमिकल रहित गुड़ का उत्पादन अधिक होता है। इसलिये लोगों को गुड़. चना और मूंगफली जैसे शुद्ध पोषक पदार्थ बच्चों को खिलाने की अपील की। साथ ही साध उन्होने अभिमावकों को बच्चों की उचित देखभाल, खान-पान व बेहतर शिक्षा देने के लिए उत्साहित किया। राज्यपाल ने वसुधेव कुट्म्बकम की बात करते हुये समाज को अपने साथ मिला कर टीबी ग्रसित मरीजों को प्रदेश की सभी विश्वविद्यालय जिला चिकित्सालय, प्राइवेट चिकित्सालय व उच्च अधिकारी तथा समाज रोवी संस्थाओं को कम से कम 50 टीबी ग्रसित मरीजों की देखभाल का जिम्मा लेने तथा इनके उपचार के बाद पुनः यह प्रकिया दोहरते रहने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार समाज को साथ लेकर टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बना कर हम अपने समाज का सहयोग कर सकते है। उन्होने कहा कि एक संस्था एक गांव को गोद ले और मुख्यतः 5 चीजो पर जोर दे-टीबी ग्रसित लोगों का उपचार, 3 वर्ष के बच्चे आंगनबाडी में जायें, गर्भवती महिलाओं का प्रसव अस्पताल में हो, आठवीं कक्षा पास करने के बाद लड़किया नौवीं में प्रवेश ले कर उच्च शिक्षा प्राप्त करें। उन्होने समाज से आंगनबाड़ियों को भी गोद लेने का आह्वान किया तथा यह बताया कि उनकी देख रेख में अब तक 80आंगनबाड़ियों को गोद लिया जा चुका है।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कुलपति लेफ्ट. जनरल विपिन पुरी ने स्वागत भाषण में कहा कि टी.बी. दुनिया की दस मुख्य बीमारियों में से एक है। उन्होनें आगे बताया कि 2019 में सम्पूर्ण विश्व में लगभग 1 करोड़ लोगों को टी.बी. हुई। जिनमें से 56 लाख पुरूष, 32 लाख महिलायें और 12 लाख बच्चे थे। विश्व में प्रतिवर्ष 14 लाख मौतें टी.बी. से होती है उनमें से एक चौथाई से अधिक मौतें अकेले भारत में होती है। हमारे देश में लगभग 1000 लोगों की मृत्यु प्रतिदिन टी.बी. के कारण हो जाती है। उन्होने बताया कि टीबी के इलाज और बचाव में केजीएमयू प्रदेश ही नहीं अपितु देश में बड़ा योगदान देता है। ड्रग रजिस्टेन्ट टीबी की जांच करने वाली आधुनिक और अधिक क्षमता बाली सीबी-नेट मशीन सबसे पहले केजीएमयू में लगाई गयी हैं। उन्होने आगे कहा कि के०जी०एम०यू०का सबसे बड़ा डाट्स प्लस सेन्टर है। हमारे यहां से टीबी रोग पर सर्वाधिक शोधपत्र प्रकाशित हुए है। कुलपति ने टी.बी. मरीजों के इलाज और रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग की हर सम्भव मदद करने का आश्वासन दिया। उन्होंने टीबी के सच्चों को गोद लेने की मुहिम चलाने के लिए राज्यपाल को साधुवाद दिया।

रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष व उ.प्र स्टेट टास्क फोर्स (क्षय उन्मूलन) के चेयरमैन सूर्यकान्त ने कार्यक्रम का संयोजन करते हुये टीवी के इतिहास के बारे में बताते हुये कहा कि टी०वी० रोग को भारत में वैदिक काल से ही क्षय रोग के रूप में जाना जाता है। ऐसा ही विवरण हिप्पोक्रेट्स के द्वारा बाद में Phthisis थाइसिस दिया गया है। इण्डियन चेस्ट सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष डा० सूर्यकान्त ने बताया कि टीबी के जीवाणु की खोज 24 मार्च 1882 को जर्मन चिकित्सक डा0 रॉबर्ट कॉक ने की थी। इसीलिये हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टीवी दिवस मनाया जाता है। उन्होने बताया कि देश की 40 प्रतिशत जनसंख्या टीबी के जीवाणुओं से प्रभावित है, लेकिन देश में टीवी रोगियों की संख्या 27 लाख ही है। क्योंकि जिनकी इम्यूनिटी एवं पोषण अच्छा होता है, उनको संकमण के बाद भी टीबी रोग नही होता है। अतः पोषण और इम्यूनिटी टीबी को रोकने में मददगार सवित होते है।

डा0 संतोष गुप्ता स्टेट टीबी ऑफिसर, उ0प्र0 ने कहा कि विश्व में टीबी का हर चौथा मरीज भारतीय होता है और भारत का हर पांचवा टीबी मरीज उ0प्र0 से होता है उन्होंने बताया कि ‘निक्षय पोषण योजना का शुभारम्भ 1 अप्रैल 2018 से हुआ है, आज तक 8 लाख टीबी मरीजों को 196 करोड रूपये रोगियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किये गये।

डा० विनीत शर्मा प्रति-कुलपति, के.जी.एम.यू. ने सबको धन्यवाद ज्ञापित किया। डा0 दर्शन कुमार बजाज, एडीशनल प्रोफेसर व के.जी.एम.यू में टीबी उन्मूलन के नोडल ऑफिसर. और डा. ज्योति बाजपेई ने कार्यक्रम का संचालन किया। रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के समस्त डाक्टर्स, रेजिडेन्टस, जाट्स प्लस की पूरी टीम व ऑफिस स्टाफ तथा केजीएमयू के अन्य विभागों के पदाधिकारी, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि, गोद लिये गये बच्चे एवं उनके अभिभावक आदि इस कार्यक्रम सम्मिलित हुए।

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