लखनऊ। बढ़ती उम्र में स्तन कैंसर की बीमारी होना अब आम बात है, परन्तु अब स्तन कैंसर के मामले में ट्यूमर के आकार को दवा से छोटा करने के साथ एक्सिला की गांठ को निकाल कर स्तन को बचाया जा सकता हैं, लेकिन यह तभी संभव है। जब स्तन कैंसर का मरीज विशेषज्ञ के पास शुरूआती दौर में पहुंचे। यह जानकारी संजय गांधी पी जी आई में ब्रोस्ट कैंसर जनजागरूकता हेल्थ में एक दिवसीय कार्यशाला में इंन्डो क्राइन सर्जरी के प्रो. गौरव अग्रवाल ने ब्रोस्ट कैंसर को लेकर विशेषज्ञों ने चर्चा की है।
संस्थान की रेडियोथिरेपी की विभागाध्यक्ष प्रो. पुनीता अगवाल ने बताया कि महिलाओं में स्तन कैंसर को लेकर जागरूकता आयी हैं, पहले शुरूआती दौर में 10 फीसदी में भी कम महिलाएं विशेषज्ञ के पास पहुंचती थी, लेकिन अब 40 फीसदी महिलाएं पहुंच रही हैं, फिर भी इलाज में अभी भ्रांति है कि कैंसर है तो पूरा स्तन ही निकाल देंगे। प्रो पुनीता ने बताया कि शुरूआती दौर में आने पर हम लोग कीमोथेरेपी से गांठ के आकार को कम करते हैं। इससे पूरा कैंसर युक्त टुयूमर निकल जाता है। एक्सिला कांख में सेनटेंनियल ग्लैंड बायोप्सी कर देख कैंसर की आशंका देखते हैं यदि इसमें कैंसर है तो ग्लैंड को निकाल देते हैं। इसमें दोबारा कैंसर की आशंका बिल्कुल कम हो जाती हैं। इस तरीके हम लोग 60 फीसदी से अधिक स्तन कैंसर की महिलाओं के स्तन को बचा सकते हैं। इसके अलावा जिन महिलाओं में निपिल में बदलाव और रंगों में परिवर्तन नजर आये, तो स्तन कैंसर के लक्षण प्रतीत होता है। निपिल की स्तन में क ड़ापन आना भी कैंसर हो सकता है। महिलाओं को दोनों हाथ ऊपर रख कर एवं दोनों हाथों को कमर पर रखकर स्तन छोटा और बड़ा होने पर भी स्तन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। महिलाओं को खान पान पर भी ध्यान देना चाहिए। डायटीशियन की सलाह से आहार लेना चाहिए।