News- एक शोध में साबित हुआ है कि गर्भावस्था में जो महिलाएं मोटापे की शिकार होती है, उनके शिशु का शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होता है। इसका असर शिशु के बचपन के शुरुआती दौर में ही दिखने लगता है। यह शोध द जर्नल ऑफ़ चाइल्ड साइकोलॉजी एंड साइकियाट्री मैं प्रकाशित हुआ है। शोध के अनुसार मोटापा बताने वाला हाई बॉडी मास इंडेक्स मस्तिष्क के दो भाग को सीधे प्रभावित करता है। यह दोनों हिस्से डिसीजन लेने और व्यवहार को प्रकट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अमेरिका के न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के लेखक मोरिया थॉमसन का कहना है कि निष्कर्ष निकलता है कि एक माह का मोटापा गर्भावस्था में भ्रूण के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रखता है। उन्होंने बताया जो बच्चे बॉडी मास इंडेक्स की माताओं से जन्म लिए उन बच्चों में कुछ संज्ञात्मक और चयापचयी समस्याएं देखी गई। शोध में देखा गया कि गर्भ में भ्रूण की मस्तिष्क की गतिविधि में बदलाव 6 महीने बाद ही शुरू हो जाता है। टीम ने 25 से 47 बीएमआई तक के 109 महिलाओं को भर्ती किया। शोध कर रहे डॉक्टरों ने भ्रूण के मस्तिष्क गतिविधि को मापने के लिए एम आर आई इमेजिंग उपकरण का प्रयोग किया। मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ बड़ी संख्या में कोशिकाओं के बीच संचार के मानचित्र पैटर्न को देखा गया। इसकी तुलना बीएमआई पर आधारित एक दूसरे न्यूरांस के समूह कैसे संवाद में अंतर पहचान करते हैं देखा गया। अध्ययन में सुझाव निकल के आया कि जो महिला मोटे और अधिक वजन वाली है,उन्हें गर्भावस्था के दौरान बेहद संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें फल और सब्जियों की भरपूर मात्रा शामिल होनी चाहिए । उन्हें रोज व्यायाम करना पर्याप्त फैटी एसिड लेना चाहिए ।इसके अलावा उन्हें नियमित रूप से डॉक्टर से जांच और वजन बढ़ने से कैसे बचा जाए, इस पर डॉक्टर से लगातार चर्चा करते रहना चाहिए