लखनऊ। कोरोना वायरस के संक्रमण का डर आम नहीं डाक्टरों को भी सताने लगा है। सांस की नली में दूध फंसने से शिशु लेने लगा आैर सांस लेने में तकलीफ होने लगी। निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने कोरोना संक्रमण समझकर परिजनो की बात पर यकीन नहीं कि या आैर शिशु को दूर से देख कर ही केजीएमयू रेफर कर दिया। रास्ते में शिशु की मौत हो गई।
जानकीपुरम सेक्टर-एफ निवासी निशांत सिंह सेंगर के पांच महीने का शिशु बीती रात दूध पीने कर सो गया। परिजनों के अनुसार रात करीब बारह बजे अचानक वह तेज से रोने लगा। मां ने शिशु को गोद में लेकर शांत कराने का प्रयास किया। फिर भी उसका रोना बंद नहीं हो रहा था। परेशान परिजन शिशु को लेकर जानकीपुरम के निकट अस्पताल में लेकर पहुंचे, तो वहां ताला लगा था। इसके बाद परिजन रिंग रोड स्थित एक निजी अस्पताल में पहुंचे, लेकिन किसी ने वहां भी शिशु को किसी प्राथमिक जांच तक नहीं की। इस दौरान शिशु को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। परिजन शिशु को लेकर निशातगंज स्थित निजी अस्पताल लेकर पहुंचे।
आरोप है कि शिशु की हालत देख डाक्टरों ने उसे छूने से इंकार कर दिया। परिवारजनों से यात्रा संबंधी जानकारी लेने लगे। इस दौरान शिशु के मामा शुभम सिंह सेंगर ने तत्काल इलाज करने की फरियाद की। डॉक्टरों ने एक न सुनी। शुभम का आरोप है कि डॉक्टरों ने बच्चे को कोरोना संक्रमित समझा आैर उसे केजीएमयू ले जाने की परामर्श दिया। इलाज में देरी से बच्चे की समस्या बढ़ती चली जाने से जब तक केजीएमयू पहुंचते तब तक रास्ते में शिशु की सांसें थम गयी। शुभम आरोप है कि डॉक्टरों ने समय पर शिशु का इलाज शुरू कर दिया होता, तो उसकी जान बच जाती। उनका मानना है कि को कोरोना नहीं बल्कि सांस की नली में दूध फंस गया होगा। इसकी जानकारी भी दी, परन्तु डॉक्टरों ने एक न सुनी। कोरोना के डर शिशु की जिंदगी निगल ली।
अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.












