जेंडर डिस्फोरिया बीमारी नहीं है, समाज को अपनाना होगा

0
718

लखनऊ। स्मृति उपवन में चल रहे 63वें ऑल इंडिया आब्सटेट्रिक्स एंड गाइनोकोलॉजी (एआईसीओजी 2020) के अंतिम दिन डॉ. अलीम सिद्दीकी और डॉ.शाजिया वकार सिद्दीकी ने संयुक्त रूप से बताया कि जेंडर डिस्फोरिया यानी दूसरे लिंग की चाहत को हमारा समाज अभी भी पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाया है। उन्होंने बताया कि ट्रांसजेंडर, गे, लेस्बियन को समाज बेहद गलत तरीके से ट्रीट करने लगता है। जबकि उसकी गलती कुछ नहीं होती। उनके हार्मोन्स अलग होने की वजह से वह अपोजिट सेक्स के प्रति अट्रैक्ट होते हैं।

Advertisement

उन्होंने बताया कि ऐसे केस में हम सेक्सुअल रि-असाइनमेंट सर्जरी करते हैं। जिसमें हम लिंग बदल देते हैं। लेकिन अगर कोई लड़का लड़की बनाना चाहता है तो वह सब चीजें कर सकता है सिर्फ गर्भधारण के। उन्होंने बताया कि यह एक कठिन और लम्बी प्रक्रिया है। इसमें गाइनी, साइकाइट्रिक, यूरोलॉजी, इंडोक्राइनोलॉजी आदि डॉक्टरों की जरूरत होती है। साइकाइट्रिक से अप्रूवल के बाद ही सेक्स चेंज की प्रक्रिया को किया जाता है।

अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.

Previous articleमां खुश तो गर्भस्थ शिशु तदुरूस्त
Next articleअगर पीलिया है तो प्रेग्नेंसी की प्लानिंग ना करें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here