…और मेडिकोज खुद चल कर गया

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लखनऊ। बैशाखी के सहारे चलने को मजबूर अपने ही मेडिकोज छात्र के पैर की सर्जरी कर उसे सामान्य लोगों की तरह चलने फिरने लायक बना दिया है। विशेष तकनीक के फिजियोथेरेपी के बाद यह मेडिकोज अपने पैरों पर बिना बैशाखी के चलने लगा है। यह सर्जरी केजीएमयू के फिजिकल मेडिसिन एडं रिहैबिलिटेशन विभाग में पहली बार की गयी है।
विभाग प्रमुख डा. अनिल बताते है कि केजीएमयू के ही एमबीबीएस 2018 बैच का छात्र आलोक अग्रहरि बैशाखी के सहारे ही चलता था। उसका पैर टेढ़ा था होने के कारण अक्सर अल्सर हो जाता था। उन्होंने बताया कि मेडिकोज छात्र की उम्र बढ़ने के साथ ही पैर का टेढापन बढ़ता जा रहा है।

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बढ़ती दिक्कत के कारण बदली गयी बैशाखी को लेने के लिए लिंब सेंटर आये थे। यहां पर बैशाखी की नाप के दौरान देखने के बाद उसके पैरों को सर्जरी करके ठीक करने का निर्णय लिया गया। डाक्टरों की टीम ने जांच करने के बाद पहले उसके पैर का अल्सर करने का निर्णय लिया। अल्सर ठीक करने के बाद टेढ़े पैर की पैन टॉलर आर्थोडेसिस एंड एंबुलेशन (अंदर की तीनों हड़्िडयों की सर्जरी) की गयी। इस विशेष सर्जरी में पैर की हड्डियों को ठीक करके चलने लायक बनाया गया। इसके बाद पैरों को सपोर्ट देकर जूते पहना कर बिना पैर टेढ़ा किए चलने का अभ्यास कराया गया। अभ्यास रंग लाया आैर अब आलोक बिना बैशाखी के चलने लगा है।

सर्जिकल टीम के डा. राहुल भरत ने बताते है कि कि बचपन में मेनिंगोमाइलोसेल की बीमारी होने पर अक्सर स्पाइन में दिक्कत आ जाती है। इस कारण तंत्रिका तंत्र के प्रभावित होने लगता है। इस वजह से शरीर के कई भाग पर खुद का नियंत्रण खत्म हो जाता है। इस स्थिति में पैरों का नियंत्रण खत्म होने की वजह से वे टेड़े हो जाते हैं, लेकिन अब इसका इलाज किया जा सकता है। बताते चले कि सर्जरी करने वाली टीम में विभागाध्यक्ष डा. अनिल गुप्ता, डा. दिलीप कुमार, डा. सुधीर मिश्रा, डा. गणेश यादव आदि शामिल थे।

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