लखनऊ। अगर आंकड़ों को देखा जाए, तो विश्व में हर साल करीब दो मिलियन महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आती हैं। वर्ष 2018 में ब्रेस्ट कैंसर से छह लाख 27 हज़ार महिलाओं की मौत हो चुकी है। महिलाओं में मौत का सबसे बड़ा कारण स्तन कैंसर है। विकसित क्षेत्रों में महिलाओं में ब्रोस्ट कैंसर की दर अधिक है। ब्रेस्ट हर की हर गांठ कैंसर नहीं होती है फिर भी गांठ होने पर उसकी जांच करना जरूरी है। यह बात संजय गांधी पीजीआई की रेडियोलाजिस्ट प्रो. अर्चना गुप्ता ने ब्रेस्ट कैंसर पर आयोजित कार्यशाला में कही।
उन्होंने कहा कि महिलाओं में स्तन के भीतर या बाहर कोई गांठ महसूस होती है। ब्रोस्ट में दर्द के साथ अचानक उसका आकार का बढ़ रहा है। ब्रेस्ट से तरल द्रव निकल रहा है, तो तुरंत जांच कराएं। यह लक्षण ब्रेस्ट कैंसर के हो सकते हैं। प्स्तन कैंसर की पहचान के लिए एमआरआई, अल्ट्रासाउंड, ब्रोस्ट मेमोग्राम, डिजिटल ब्रेस्ट मेमोसेन्थेसिस के बारे प्रशिक्षु रेडियोलॉजिस्ट और टेक्नीशियन को जानकारी दी गई।
कार्यशाला में एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज मेरठ, बीएचयू वाराणसी और जीएसबीएम कानपुर डॉक्टर और टेक्नीशियन मौजूद थे। वर्कशॉप का लाइव वेबकास्टस किया गया। पीजीआई के सीनियर रेडियोलॉजिस्ट डॉ. शिवकुमार ने कहा कि ऐसे आयोजनों से प्रशिक्षु रेडियोलॉजिस्ट को नई तकनीक की जानकारी मिलती है।
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