लखनऊ । बाईपोलर डिसआर्डर मानसिक बीमारी है, इसमें डिप्रेशन और उन्माद के मनोस्थिति बदलने वाले लक्षण होते है। ऐसी स्थिति को बाईपोलर डिस्ऑर्डर होना कहा जाता है। इसका इलाज आसान है और इसे नियमित दवाओं से ठीक किया जा सकता है। जरूरी यह है कि समस्या होने पर छिपायें नहीं,विशेषज्ञ डाक्टर से जांच करा कर इलाज कराये, जब तक डाक्टर न कहें अपने मन से दवा खाना न छोड़ें।
यह बात इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( आईएमए) की लखनऊ शाखा के एडीटर व मनोचिकित्सक डा. अलीम सिद्दीकी ने वल्र्ड बाईपोलर डे पर शनिवार को आईएमए भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। वार्ता के दौरान आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डा. जीपी सिंह व सचिव डा. जेडी रावत भी उपस्थित थे। डा. अलीम ने कहा कि डिप्रेशन में बहुत ज़्यादा उदासी, कमजोरी, थकान, नकारात्मक विचार आना, कोई उम्मीद न दिखना, ऐसा लगना कि पूरी तरह से बर्बाद हो गये है और जीने से अच्छा आत्महत्या कर लें, नींद न आना, भूख न लगना, यौन इच्छा खत्म हो जाना लगता है।
जबकि उन्माद में अत्यधिक और बगैर जरूरत खुश रहना, बड़ी-बड़ी बातें करना ओर प्लान बनाना जो कि असल में सम्भव न हो, बहुत ज्यादा ताकत महसूस करना, गुस्सा-मारपीट करना, बहस करना, अपने आपको सबसे बड़ा आदमी समझना जैसे लक्षण होते हैं। डा. अलीम ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को इसकी शिकायत हो तो घरवालों को इसे छिपाना नहीं चाहिये क्योंकि इसका बहुत ही सफल इलाज मौजूद है जो बहुत महंगा भी नहीं होता है। हां यह जरूर है कि दवायें बिना डाक्टर के पूछे बन्द नहीं करना चाहिए, चाहे लक्षण काबू में आ चुके हों। उन्होंने कहा कि जल्दी इलाज करने से इलाज आसान होता है और कम दवा में ही असर हो जाता है।
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