लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के क्वीन मेरी अस्पताल में देर रात तीन लिफ्ट होने हो गयी। लिफ्ट खराब होने से इमरजेंसी से लेबर रूम तक जाने में प्रसूताओं काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। उन्हें सीढ़ियां चढ़ाने में तीमारदारों के पसीना आ गया। तीमारदारों को मदद भी नहीं मिली, जिससे कुछ तीमारदारों की नोंक-झोंक भी हो गयी। लगभग दोपहर 12 बजे के बाद तक मरीज झेलनी पड़ी। इसके बाद ही एक लिफ्ट ठीक हो सकी, जब कि अस्पताल प्रशासन का दावा था कि किसी मरीज को कोई दिक्कत नही हुई अौर जल्द ही लिफ्ट को ठीक करा दिया गया।
क्वीन मेरी अस्पताल में तीन लिफ्ट हैं। इनमें एक लिफ्ट काफी समय से खराब चल पड़ी है। प्रसूताओं को लेबर रूम में इमरजेंसी में इन्हीं दो लिफ्टों के सहारे चल रहा था। बताते है कि देर रात इन दोनों लिफ्ट ने एका एक काम करना बंद कर दिया। ऐसे में इमरजेंसी में भर्ती दर्द से कराहती प्रसूताओं को तीमारदार बड़ी मुश्किल से पहले ऊपर वार्ड तक ले जाने में पसीना छूट गये। यहां नीचे बने लेबर रूम में डिलीवरी करवाई जाती है। बाद में ऊपर बने वार्डों में भर्ती किया जाता है। ऐसे में तीमारदारों को कड़ी मशक्त का सामना क रना पड़ा। बताते चले कि अस्पताल में प्रतिदिन औसत प्रतिदिन 50 से अधिक डिलीवरी होती हैं, जबकि इतनी ही महिलाओं को प्रसव के बाद रिलीव किया जाता है।
लिफ्ट शुरू नहीं होने के कारण प्रसूताओं को दूसरी मंजिल से अपनों के कंधों का सहारा लेकर उतरना पड़ा। वहीं तीमारदारों का कहना है कि लिफ्टमैन लिफ्ट में रोगियों व स्टाफ को ऊपर-नीचे ले जाने में खुद भी साथ नहीं जाता। उनका आरोप है कि पावर बैकअप नहीं होने के चलते अगर कभी भी बिजली चली जाए तो लिफ्ट बीच में ही रूक सकती है।
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