लखनऊ। अनुवांशिक बीमारियों की पहचान होने के बाद ही अगर यदि समय रहते विशेषज्ञ डाक्टर की देखरेख में इलाज करा लिया जाये, तो इस पर किसी हद नियंत्रण पाया जा सकता है। वहीं परिवार के अन्य लोगों को भी बीमारी से ग्रसित होने से बचाया जा सकता है। यह बात संजय गंाधी पीजीआई की जेनेटिक्स विभाग की प्रो. शुभा फड़के ने कही। वह दुर्लभ जटिल बीमारियों के कारण होने वाली चुनौती विषय पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने बताया कि ज्यादातर दुर्लभ बीमारियां आनुवंशिक विकारों के कारण होती है जो जन्म के साथ शिशु में होती है या यह बाद में उम्र के साथ सामने आती है। हालांकि कई बीमारियों का इलाज कि या जाना सम्भव नहीं है, लेकिन बीमारियों पर शोध के बाद लगातार अपडेट क्लीनिक ट्रीटमेंट आ रहे है।
दुर्लभ बीमारियां जेनेटिक होती है, तो अगर परिवार में किसी को ऐसा विकार है तो यही विकार उनके भाई-बहनों या संतानों में आ सकता है। इसलिए जिन बच्चों या व्यक्तियों को दुर्लभ जेनेटिक विकार है, उनकी समय रहते सही पहचान होना और टेस्टिंग मैनेजमेंट, जेनेटिक कांउसलिंग और गर्भ से पहले जांच की सलाह महत्वपूर्ण है। डॉ. शुभा ने यह भी कहा, ”जिन जेनेटिक बीमारियों का इलाज हो सकता है, उसे करवाने से चूक जाना और इस गंभीर विकारों को दोबारा आने से रोक न पाना बहुत दुखद स्थिति है और इसे दूर करने की जरूरत है। इस समस्या से निपटने के लिए डाक्टरों को दुर्लभ बीमारियों के बारे में जागरूक कराए जाने की जरूरत है। डाक्टर दुर्लभ बीमारियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.











