लखनऊ । बलरामपुर अस्पताल के आपरेशन थियेटर में मिले एक्सपार्यड इंजेक्शन पर चिकित्सा व्यवस्था बैक फुट पर आ गयी है। चर्चा है कि तीन दिन पहले वार्ड में गलत इंजेक्शन लगने से कई लोग बीमार होना आैर उसके बाद एक्सपार्यड इंजेक्शन का खुलासा मरीजों की चिकित्सा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगा देती है। चर्चा है कि यह घटनाएं कहीं अस्पताल में चल रहे वर्चस्व की जंग का हिस्सा तो नहीं है। लोगांे में चर्चा है कि आये दिन हो रही घटनाओं की जिम्मेदारी आखिरकार किसकी होगी।
अस्पताल में तीन दिन पहले वार्ड में अचानक मरीजों को गलत इंजेक्शन लगाये जाने से छह सात मरीज पीड़ित हो गये थे आैर इनमें एक की हालत बिगड़ने पर आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा था। इस मामले में भी अस्पताल प्रशासन ने सुरक्षा गार्डो की मदद से वार्ड को सील करके पारदर्शिता न बरतते हुए सब कुछ सामान्य बताया था आैर मामूली बात की जानकारी दी थी। यही नहीं गलती करने वाले नर्सिंग स्टाफ पर भी मामूली कार्रवाई करते हुए ड¬ूटी बदल दी थी। इसके बाद आपरेशन थियेटर में मिले एक्सपायरी इंजेक्शन को भी अपनी गलती न मानते हुए साजिश बताया है, जबकि यहां भी बलरामपुर अस्पताल की चूक है।
अगर ओटी में इंजेक्शन अस्पताल प्रशासन के बैच के नहीं थे, तो उनमें बलरामपुर अस्पताल की मोहर क्यो लगी हुई थी। आनन- फानन में निदेशक ने रात में ओटी को क्यो खुलवाया था आैर दवाओं की जांच की गयी। बताया जाता है कि अस्पताल में वर्चस्व की जंग चल रही है। चिकित्सा व्यवस्था में पारदर्शिता न होने का आरोप लग रहा है। अस्पताल में चर्चा है कि अगर मामले की गहन पड़ताल की जाए। साजिश की परत अपने आप ही खुलेगी। निदेशक का कहना है कि दवाएं अस्पताल की नही है तो उन पर अस्पताल की मोहर क्यो लगी हुई थी। इसी प्रकार गलत इंजेक्शन से बीमार होने वाले मरीजों को दी जाने वाली दवा भी शक के दायरे में आ जाती है। फिलहाल शासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिया है।
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