लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक में एक बार फिर एबी निगेटिव की कमी हो गयी है। यही नहीं काफी दिनों बाद ए पाजिटिव ब्लड ग्रुप की कमी बन गयी हंै। एबी निगेटिव ब्लड ग्रुप की कमी के कारण गंभीर मरीजों के इलाज में भी दिक्कत आ रही है। इस कमी को देखते हुए डाक्टरों के बाद अब कर्मचारियों ने भी रक्तदान करने का निर्णय लिया है।
केजीएमयू ही नहीं राजधानी के सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी ब्लड बैंकों में एबी निगेटिव की कमी बनी है। निजी ब्लड बैंकों में तो जिनके पास इस ग्रुप का ब्लड है, वह लोग रक्तदाता से ब्लड लेने के बाद भी ब्लड यूनिट का शुल्क निर्धारित दरों से अधिक ले रहे है। अधिक लिये जा रहे शुल्क की रसीद नहीं दी जाती है। शुल्क की रसीद पर सामान्य शुल्क ही दर्ज रहता है। केजीएमयू के ब्लड बैंक में एबी निगेटिव के कमी को पूरा करने के लिए इस ग्रुप के रेजीडेंट से लेकर डाक्टर्स तक रक्तदान कर चुके है। फिर भी इसकी कमी बन रही है। इसकी कमी को लेकर सभी हैरान व परेशान है। स्वयसेवी संस्था भी रक्तदान कर तो रही है लेकिन इस ग्रुप का ब्लड कम ही आ रहा है। केजीएमयू का ब्लड बैंक पहले भर्ती को प्राथमिकता के आधार पर ब्लड देता है।
इसके बाद निजी क्षेत्र से आयी मांग को पूरा करता है। मंगलवार को आलम यह था कि एबी निगेटिव ब्लड ग्रुप का एक यूनिट ही बचा था,जिसकी मांग कई मरीजों को थी आैर दिया जाना सिर्फ मरीजों को ही तय था। इस ग्रुप के अलावा ए पाजिटिव ब्लड ग्रुप की भी कमी हो गयी है। बताया जाता है कि अगर केजीएमयू के ब्लड बैंक में जिस ब्लड ग्रुप की कमी बनती है। उसकी कमी शहर के सभी ब्लड बैंक में बनना शुरु हो जाती है आैर इसका फायदा निजी ब्लड बैंक के लोग उठाते है। केजीएमयू कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह का कहना है कि जल्द ही कर्मचारी रक्तदान करने के लिए शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए केजीएमयू प्रशासन से वार्ता चल रही है।
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