न्यूज डेस्क। परास्नातक चिकित्सा शिक्षा आैर शोध संस्थान (पीजीआईएमईआर) में नेपाल के एक दंपति ने अपने 11 माह के बच्चे का अंगदान किया। इस बच्चे के अंगदान से वहां भर्ती गंभीर रूप से बीमार एक व्यक्ति को नया जीवन मिला है।
परास्नातक चिकित्सा शिक्षा आैर शोध संस्थान (पीजीआईएमईआर) के प्रवक्ता ने बताया कि 1996 में कैडेवर (ब्रोनडेड) गुर्दा प्रतिरोपण कार्यक्रम के शुरू होने के बाद से पीजीआईएमईआर अस्पतालों में अंगदान करने वालों में यह बच्चा सबसे कम उम्र का अंग दाता बन गया है।
बच्चे के माता – पिता मूल रूप से नेपाल के रहने वाले हैं, परन्तु वर्तमान में यहां रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि छह जुलाई को बच्चा अपने पालने में खेल रहा था। इसी दौरान वह पलट कर उससे नीचे सिर के बल गिर गया। इससे पहले कि मां को कुछ समझ में आता बच्चा सिर में गंभीर चोट लगने के कारण से बेहोश हो गया। परिजनों ने उसे तत्काल निकट के सरकारी अस्पताल ले गया। डाक्टरों की सलाह पर इसके बाद बच्चे को उसी दिन पीजीआईएमईआर ले जाया गया।
उन्होंने बताया कि बच्चे को होश में लाने के सारे प्रयास विफल रहे।
बच्चे के माता – पिता ने बताया कि जब डाक्टरों ने उन्हें बुलाया तो उनका डर सही साबित हुआ। पीजीआईएमईआर के डाक्टरों ने जब उन्हें बताया कि उनका बच्चा नहीं बच सकेगा, इसके बाद उन्होंने डॉक्टर के परामर्श पर बच्चे के अंगों को दान करने के लिए अपनी हामी भर दी। इसके बाद एक वयस्क मरीज में गुर्दे का प्रतिरोपण कर दिया गया है।
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