लखनऊ। डिपार्टमेंट ऑफ आर्थोपेडिक बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय द्वारा दो दिवसीय फिजियोथेरेपी कार्यशाला का आयोजन पहली बार काशीकान 2018 के नाम से किया गया, जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रोफेसर वी.के. शुक्ला डायरेक्टर आईएमएस बीएचयू ने किया। कार्यशाला में देशभर से ख्याति प्राप्त फिजियोथेरेपिस्ट उपस्थित हुए, उन्होंने अपने अनुभव तथा नयी तकनीक से इलाज की जानकारी कार्यशाला में दिया। जिनमें डा. उमाशंकर मोहन्ती प्रेसिडेन्ट इण्डियन एसोसियेशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट, डा. एजाज अशहई मुम्बई से, डा. नरकीश अरूमुघम पटियाला से, डा. पूजा पाण्डेय बैंगलौर, डा. आर.के. मुदगिल रोहतक तथा डा. प्रभात रंजन एम्स नई दिल्ली ने लेक्चर के माध्यम से फिजियोथेरेपी विधा की बढ़ती लोकप्रियता और नई सम्भावनाओं की जानकारी दी।
लखनऊ से डा. सन्तोष कुमार उपाध्याय (पी.टी.) भी कार्यशाला में सम्मलित हुए तथा उन्हें उनके फिजियोथेरेपी में उत्कृष्ट कार्य के लिए डा. ओ.पी. उपाध्याय सी.एम.एस. सर सुन्दरलाल हास्पिटल पीएचयू के द्वारा आउटस्टैडिंग एचिवमेन्ट एवार्ड द्वारा सम्मानित किया गया। यह जानकारी एक्ट्रा केयर फिजियोथेरेपी की डायरेक्टर डा. आकांक्षा उपाध्याय (पीटी.) ने दी।
डा. सन्तोष कुमार उपाध्याय (पी.टी.) ने बताया कि कार्याशाला में यह चर्चा हुई कि किस प्रकार से फिजियोथेरेपी को प्रिवेन्टिव तरीके से प्रयोग में लाकर जैसे की आजकल की जीवनशैली तथा गैजेस्ट्स के प्रति बढ़ता सभी का लगाव, गलत शारीरिक मुद्राए जिसमें लगातार लम्बे समय तक पढ़ते, या कार्य करते समय बैठना, मोबाइल आदि पर बात करना तथा गेम्स खेलना यह सभी स्थितियाँ 90 प्रतिशत तक सिर, गर्दन, कमर दर्द के कारण बन जाते है। फिजियोथेरेपिस्ट के द्वारा अपने बॉडी का पोस्चर विश्लेषण कराना तथा यह जानकारी हासिल करना कि उनकी फिटनेस की स्थिति क्या है।
समय समय पर गाड़ी की उचित एलाइनमेन्ट की तरह मैनुएलथेरेपी असेसमेन्ट के द्वारा बॉडी एलाइनमेन्ट भी कराना चाहिए। कभी-कभी तो यह समस्याओं को नज़र अन्दाज करना बड़ी समस्याओं को बुलावा देता है। जैसे कि लगातर चक्कर आना, नस दबना, स्कोलिओसिस आदि। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार फिजियोथेरेपी से महिलाओं की जन्म से लेकर मृत्यु तक होने वाली बहुधा समस्याओं चाहे वह प्रेगनेंसी के समय के कमर दर्द हो या बाद में मांसपेशियों के फैलने से आयी मांसपेशियों की कमजोरी की वजह से होने वाले दर्द हो, से बचा सकता है। आधुनिक मेडिकल विज्ञान में एन्टीनेटल, पोस्टनेटल स्थितियों में फिजियोथेरेपी के समावेश से बेहतर तथा दर्द रहित रह सकते है।
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