लखनऊ। ग्रीन एरिया,एलो एरिया तथा अति गंभीर बच्चे की पहचान कर सबसे पहले अति गंभीर बच्चे को इलाज देना आवश्यक है। इससे कम संसाधनों में भी अति गंभीर बच्चों को इलाज मिल सकेगा। यह कहना है पीजीआई के बाल रोग विभाग की प्रो.पियाली भट्टाचार्या का। वह सोमवार को एसजीपीजीआई में आयोजित पांच दिवसीय आवासीय क्षमता वर्धन कार्यक्रम में आये पीएमएचएस कैडर के बाल चिकित्सकों तथा चिकित्सा अधिकारियों को संबोधित कर रहीं थीं। उन्होंने बताया कि जब कोई बच्चा पीआईसीयू में इलाज के लिए पहुंचता है। तो सबसे पहले यह देखना जरूरी है कि वह किस हालत में है। उसके लिए स्टेप बाई स्टेप जांच की जरूरत होगी। बच्चे की स्थित जानने के लिए मशीनों के माध्यम से कार्डियक व पल्स की जानकारी लेना,बच्चे की क्लीनिकल समरी बनाना।
उसके बाद अपने अनुभव के आधार पर बच्चे की वास्तविक स्थित समझाना बेहद जरूरी है। जिससे यह पता चल सके कि बच्चे को इलाज क्या देना है। ऐसा करने से बच्चे की स्थित का पता चल सकेगा। यदि बच्चा ग्रीन स्थ्ति में है तो उसका सामान्य इलाज,यदि यलो स्थित में हैं तो उसमें दोनों प्रकार के बच्चे शामिल हो सकते हैं। जिसमें सामान्य व गंभीर स्थित दोनों प्रकार के आते हैं। इन दोनों प्रकार के बाद तीसरी श्रेणी के बच्चे आते है,जिन्हे अति गंभीर स्थित के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल सकेगा। प्रो.पियाली ने बताया कि उक्त आधार पर यदि बच्चे की स्थित की पहचान कर लिया जाये,तो कम संसाधन के में भी गंभीर बच्चों को इलाज मिल सकता है। इस प्रक्रिया को इस्तेमाल कर जिस बच्चे को जरूरत होगी उसी को प्राथमिकता के आधार पर इलाज दिया जा सकेगा। प्रो.पियाली ने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि कहीं पर एक ही ऑक्सीजन सिलेंडर है,यदि उसको सामान्य बच्चे को लगा दिया गया और जिसे वाकई में जरूरत हुयी। तो उसे कहां से ऑक्सीजन सिलेंडर मिलेगा।
बीते साल गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज में ३० बच्चों ने दम तोड़ दिया था। इस प्रकार की अप्रिय घटना दोबारा न हो इसके लिए प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है। जिसके तहत सरकारी अस्पतालों में कार्यरत बाल रोग विशेषज्ञों को पीआईसीयू में गंभीर बच्चों के इलाज के लिए ट्रेनिंग करनी है। इस ट्रेनिंग की जिम्मेदार एसजीपीजीआई के चिकित्सकों ने अपने कंधो पर ली है। जिसकी शुरुआत सोमवार से हो गयी है। पांच दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला में प्रदेश सरकार के ४८ बाल रोग विशेषज्ञों ने सोमवार को पहले दिन पीआईसीयू में गंभीर बच्चों के इलाज के विशेष गुर सीखेंगे।
एसपीजीआई के अस्पताल प्रशासन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा.राजेश हर्षवर्धन पांच दिन के प्रशिक्षण आवासीय कार्यक्रम के इंचार्ज है। डा.हर्षवर्धन ने ही इस पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा भी तैयार की है। प्रदेश सरकार ने डा.हर्षवर्धन को बाल रोग विशेषज्ञों की ट्रेनिंग की बड़ी जिम्मेदार सौंपी है। प्रदेश सरकार की मंशा है कि आने वाले समय में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के आईसीयू में इलाज के लिए पहुंचे गंभीर बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण इलाज मुहैया हो सके।
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