लखनऊ। अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा तो किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के आर्थोपैडिक विभाग प्रदेश का पहला स्पोटर्स इंजरी विभाग बनेगा। केन्द्र सरकार को प्रस्ताव जा चुका है। इसके अलावा यहां पर स्पोटर्स इंजरी लैब शुरु होने के साथ ही दूसरे व्यक्ति के लिंगामेंट का प्रत्यारोपण भी शुरु किया जा सकेगा। यह जानकारी आर्थोस्कोपी विशेषज्ञ डा. आशीष कुमार ने आर्थोस्कोपी सर्जरी कार्यशाला 2017 में दी। कार्यशाला में रविवार को देश के विभिन्न राज्यों से आये डाक्टरों ने 50 कैडेबर पर आर्थोस्कोपी से घुटने व कंधे की सर्जरी की तकनीक सीखी।
डा. आशीष ने बताया कि आर्थोस्क ोपी तकनीक सर्जरी की बेहतर तकनीक है। इससे कंधे, घुटने के लिंगामेंट आसानी से जोड़ के अलावा प्रत्यारोपण भी किये जा सकते है। उन्होंने बताया कि जल्द ही स्पोटर्स इंजरी की लैब तैयार होने के बाद किसी दूसरे का भी लिंगामेंट प्रत्यारोपण किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि किसी भी व्यक्ति का दूसरा लिंगामेंट -70 डिग्री तापमान पर तीन महीने या उससे ज्यादा समय तक रहने के बाद दूसरे के शरीर में रिएक्शन नहीं करता है। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष तक यह प्रत्यारोपण किया जा सकता है। डा. कुमार शांतनु ने बताया कि स्पोर्टस इंजरी सर्जरी के मरीजों का प्रतिदिन आपरेशन किया जाता है। उन्होंने बताया कि आस्थोस्पोकी सर्जरी में लगातार खिलाड़ी, एक्सीडेंटल मरीज के अलावा पुलिस व अन्य लोग आते है।
कैडेबर पर सर्जरी एनाटॉमी विभाग में सिखायी गयी। यहां पर विभाग प्रमुख डा. नवनीत चौहान, डा. ज्योति, डा. अनीता रानी के अलावा डा. स्वरूप पटेल बनारस व डा. मुअज्जम ने भी आर्थोस्पोकी सर्जरी कराने में मदद की। डा. स्वरूप पटेल ने बताया कि कंधे उतरने के अलावा घुटने के लिंगामेंट टूटने की सटीक जानकारी एमआरआई से ही मिलती है। ऐसे में अगर जल्दी ही सर्जरी नहीं करायी जाए तो पैर में गठिया भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद परामर्श के बाद फीजियोथेरेपी भी कराना चाहिए। इसके बाद ही लिंगामेंट पूरी तरह से मूवमेंट करने लगते है। कार्यशाला में कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला से डाक्टरों को बहुत कुछ सीखने को मिलता है। कार्यशाला में आर्थोपैडिक विभाग के प्रमुख डा. जीके सिंह भी मौजूद थे।