वर्चस्व की जंग में आक्सीजन सिलेंडर पर टिकी शिशु की सांसे

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लखनऊ। प्रदेश सरकार के तमाम दावों के बाद भी अभी तक वीवीआईपी अस्पताल कहे जाने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल के बाल रोग विभाग में सेंट्रल आक्सीजन सिस्टम नही लग पाया है। यहां पर नवजात शिशुओं की दी जाने वाली अाक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर रहती है। इसी के चलते वेंटिलेटर नहीं लग पा रहा है।

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लगभग चार वर्ष पहले सिविल अस्पताल में बाल रोग विभाग का गठन किया गया। चालीस बिस्तरों वाले इस विभाग में दावा किया गया था कि एक छत के नीचे बच्चों को इलाज दिया जाएगा। खास कर दिमागी बुखार के मरीजों का इलाज मिल सकेगा। इसके लिए वेटिलेटर युक्त आईसीयू भी बनाया जाना था। वेंटिलेटर की खरीद स्वास्थ्य महानिदेशालय के सीएमएसडी विभाग को करना था। तीन वर्षो तक सीएमएसडी विभाग वेंटिलेटर की खरीद ही करने में असफल रहा। सूत्र बताते है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपनी- अपनी कम्पनियों से वेंटिलेटर को खरीदना चाहते थे, काफी कोशिशों के बाद जब वेंटिलेटर खरीद की बात शुरु हुई तो मानकों का पालन करने के लिए सेंट्रल आक्सीजन सिस्टम का लगना आवश्यक था।

अब महानिदेशालय के अधिकारी आक्सीजन प्लांट के लिए फाइल चलाने लगे। यहां पर गंभीर बीमारियों के अलावा दिमागी बुखार के बच्चे भी भर्ती होते है। जिन्हें दिनरात आक्सीजन की अाश्यकता होती है। उन्हें आक्सीजन सिलेंडर लगाकर आपूर्ति की जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आक्सीजन सिलेंडर की अक्सर दिक्कत होती है। इसके लिए रिजर्व में आक्सीजन सिलेंडर रखा जाता है। सिविल अस्पताल प्रशासन को अब सेंट्रल आक्सीजन सिस्टम के लिए अब आक्सीजन प्लंाट के लिए ई टेंडर करने के निर्देश दिये गये है। फिलहाल इस वर्ष भी वेंटिलेटर यूनिट लगना नामुमकिन लग रहा है।

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