लखनऊ। जल्द ही किडनी, लिवर की तरह गर्भाशय का भी प्रत्यारोपण किया जाएगा। यह जटिल प्रक्रिया है, लेकिन इसका प्रत्यारोपण करने की तैयारी देश में चल रही है। यह जानकारी वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अलका कृपलानी ने फर्टिविजन 2016 में दी। इससे पहले इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी के दूसरे दिन कार्यशाला का उद्घाटन केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने किया। उन्होंने कि कहा कि अब सेरोगेसी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, पर इसके लिए बनाये गये नियम कानून का भी पालन होना चाहिए। कार्यशाला में स्त्री रोग विशेषज्ञों ने आईवीएफ तकनीक पर चर्चा की।
युवतियों में विटामिन डी की कमी के कारण गर्भाशय में फायब्राायड बनने की आशंका ज्यादा रहती है –
डा. अलका कृपलानी ने बताया कि देर से शादी के बाद अब गर्भधारण में दिक्कते बढ़ने लगी है। यह दिक्कतें महिला व पुरुष स्तर पर दोनों ओर से होती है। फिर भी महिलाओं को ही दोषी ठहराया जाता है। उन्होंने बताया कि बदलता खानपान बढ़ता प्रदूषण भी अंडाणु व शुक्राणु को प्रभावित करने लगा है। कार्यशाला में डा. धीरज ने बताया कि जल्द ही किये गये शोध में पता चला कि युवतियों में विटामिन डी की कमी के कारण गर्भाशय में फायब्राायड बनने की आशंका ज्यादा रहती है। शोध में यह पाया गया कि जिन युवतियों में विटामिन डी के मात्रा संतुलित थी उनके गर्भाशय में फायब्रााइड बनने की आशंका नहीं के बराबर पायी गयी।
35 वर्ष की उम्र के बाद दस प्रतिशत महिलाओं में डायबटीज की दिक्कत पायी गयी –
उन्होंने बताया कि आम तौर पर शरीर में फायब्रााइड की मात्रा संतुलित नहीं रहती है। आईवीएफ तकनीक विशेषज्ञ डा. गीता खन्ना ने बताया कि 35 वर्ष की उम्र के बाद दस प्रतिशत महिलाओं में डायबटीज की दिक्कत पायी गयी। कार्यशाला में डा. भारती, डा. सोहनी, डा. सोनल के अलावा आयोजन समिति सचिव डा. सुनीता चंद्रा ने जानकारी दी।