डॉक्टरों का लिखा पर्चा अक्सर हमारे लिए एक पहेली बन जाता है। अगर पर्चा लिखते समय आपने डॉक्टर की बात ठीक तरीके से सुन ली, तो अच्छा है नहीं तो फिर बाद में केमिस्ट या फार्मासिस्ट से पूछते फिरिए कि कौन सी दवा कब खानी है।
पेश है डॉक्टरों की कूटभाषा पर प्रकाश डालती रिपोर्ट –
ऐलोपैथिक पद्धति का जन्म लैटिन अमेरिका में हुआ है जिसकी वजह से चिकित्सक लैटिन के शब्द इस्तेमाल करते हैं। यह लैटिन शब्द की सांकेतिक भाषा होती है जो कि अक्सर आम लोगों के लिए पहेली जैसी होती है। हालांकि आजकल डॉक्टरों ने इन शब्दों का इस्तेमाल कम कर दिया है और केवल चिन्हों का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन फिर भी अभी यह सांकेतिक भाषा ज्यादातर चिकित्सक इस्तेमाल कर रहे हैं। कासमी क्लीनिक के एमडी इन मेडीसिन डॉ. सुहैब मोहम्मद जैद ने इस लैटिन भाषा के मुश्किल शब्दों का अर्थ बताया।
- आरएक्स : इस संकेत का अर्थ होता है दवा की नुस्खा
- ओडी : ओमनी डाय, इसका अर्थ है कि दिन में एक बार दवा लेनी है
- बीडी (बीआईडी) : बिस इन डाय, का संक्षिप्त रूप है जिसका अर्थ है दिन में दो बार
- टीडीएस (टीआईडी) : टर इन डाय सुमेन जिसका अर्थ है दिन में तीन बार
- एसी : एंटी साइबम जिसका अर्थ है भोजन से पहले
- पीसी (पोस्ट साइबम) : जिसका अर्थ है खाने के बाद दवा लेना है
- क्यूआईडी (क्यूडीएस) : क्वार्टर इन डाय सुमेनडस अर्थात दिन में चार बार दवा लेनी है
- ए/डी (अल्टरनेट डे) : इसका अर्थ है दवा एक दिन के अन्तराल में लेना है
- एचएस (होरा सोमनी) : इसका अर्थ है दवा को रात में सोने से पहले लेनी है
- बीबीएफ : इसका अर्थ है दवा को सुबह नाश्ता के पहले लेना है
- एसओएस : दवा को जरुरत पड़ने पर ही लेना है
- एसटीएटी ( स्टेट) : दवा की तुरन्त जरूरत है
- टीएसएफ (टी-स्पून फुल) : एक बड़ा चम्मच लगभग पांच एमएल
- टीबीएसएफ (टेबल स्पून फुल): एक बड़ा चम्मच लगभग 1० एमएल
- एसएल (सब लिंगुअल) : इसका अर्थ है दवा जबान के नीचे रखकर धीरे धीरे चूसना है
- एसआर : मरीज को कम नमक वाला खाना देना है
- डब्लूएस : इसका अर्थ है हल्के गर्म पानी में नमक मिलाकर उससे कुल्ला करें या किसी अंग की सिकाई करें ये भी हैं कोड
- एप्लीकेप : ऐसा कैप्सूल जिसे निगलकर नहीं खाना है बल्कि एक किनारा काटकर उसमें मौजूद मरहम को आंख में डालना है या फिर किसी जख्म पर लगाना है।
- एनएडी : नो एब्नॉर्मिलिटी डिटेक्टेड, अर्थात किसी भी तरह की कोई असामान्यता नहीं पाई गई है।
- आईएम (इंट्रा मस्कूलर) : मांसपेशी में दिया जाने वाला इंजेक्शन
- आईवी (इंट्रा वेन्स) : नस में दिया जाने वाला इंजेक्शन
- एससी : त्वचा के ठीक नीचे दिया जाने वाला इंजेक्शन
- टेब : टेबलेट
- एसवाईवी : सीरप
- कैप : कैप्सूल
- ओइन्ट : ओइन्टमेंट
- आईएनजी : इंजेक्शन
ध्यान में रखने वाली खास बात –
डॉ. जैद ने बताया कि जो दवाएं दिन भर में दो बार दी जाती हैं उनके बीच 12 घंटे का अन्तराल होना चाहिए, वहीं वह दवाएं जो कि दिन भर में तीन बार ली जाती हैं उनके बीच पांच-पांच घंटे का अन्तराल होना चाहिए वहीं दिन भर में चार बार ली जानी वाली दवाओं के बीच में चार-चार घंटे का अन्तराल रखना चाहिए। डब्लूएचओ के अनुसार डॉक्टरों को अपने नुस्ख्ो अंग्रेजी के कैपिटल लेटर में लिखने चाहिए ना कि रनिंग राइटिंग में। साथ ही यह भी प्रावधान है कि उन्हें दवाओं के साल्ट ना लिखकर उनके जेनरिक नाम लिखने चाहिए।
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Very nice
Doctors chi handwriting kshi olkhachi ani tya parchi varchich goli medical walyani dile he ks samjaych….doctor ni lihun dilelyach golya ah he tablet varun kas ilkhaych