डेस्क। अपने देश में हुए एक नए शोध में चौंकाने वाले नतीजे निकले है कि शोध में पता चला है कि पिछले दो दशक से लगभग 90 प्रतिशत भारतीय विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। इस शोध का दावा काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित एक सत्र के दौरान नयी दिल्ली स्थित एम्स के अस्थि रोग विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. विवेक दीक्षित ने कि या है।
उनका दावा है कि हमारे शरीर में कैल्शियम जमा रहता है, लेकिन विटामिन डी के प्रचुर मात्रा में नही मिलता है तो कैल्शियम प्रॉसेस नहीं हो पाता है।
उन्होंने कहा कि शोध में यह भी सामने आया है कि खेत में काम करने वाले मजदूरों, धूप में काम करने वाली गृहणियों यहां तक की अर्धसैनिक बलों में भी विटामिन डी की कमी है, हालांकि उनमें यह कमियां वंशानुगत कारणों से होती है।
अन्य बड़ी वजहों में उन्होंने खाद्य पदार्थों को आैर परिधान को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि विटामिन डी की शरीर में पूर्ति के लिए 40 मिनट तक धूप के संपर्क में रहना जरूरी है।
डॉ दीक्षित ने कहा कि शरीर में विटामिन डी की सही मात्रा मधुमेह, बाल झड़ने, त्वचा रोग आदि से बचाव में मददगार होती है। साथ ही विटामिन डी तंत्रिका संबंधी दवाओं से होने वाली विटामिन की कमी को भी नियंत्रित करता है। उन्होंने बताया कि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा विटामिन डी की कमी का ज्यादा खतरा रहता है। उन्हें समय- समय पर विटामिन डी के स्तर की जांच करानी चाहिए। नए शोध का हवाले से उन्होंने कहा कि लोगों में भ्रम है कि सुबह सात से लेकर 11 बजे के बीच धूप के संपर्क में रहने से विटामिन डी मिलता है। यह सहंी नही है, विटामिन डी के लिए सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक का समय सही है।
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