नई दिल्ली – दिमाग की जानलेवा बीमारी से पीड़ित 71 वर्षीय इंदिरा शर्मा को नया जीवन मिला है। वह दिमाग की एक बीमारी कैरोटिड स्टेनोसिस से पीड़ित थीं, जिसमें ब्रेन आर्टरी (दिमाग को खून ले जाने वाली धमनी) में प्लॉक जमने के कारण धमनी संकरी हो जाती है। एक आधुनिक तकनीक के जरिए बिना ओपन सर्जरी के उनका सफल इलाज किया गया, ताकि दिमाग को फिर से खून की सही आपूर्ति हो सके। धमनी में मैश कवर्ड स्टेंट डालकर उन्हें जानलेवा स्ट्रोक से बचा लिया गया।
इस मुश्किल प्रक्रिया को अंजाम देने वाले इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट, डॉ. एन. एन. खन्ना ने कहा, “जब वह हमारे पास आईं, तब वह शरीर के दाएं हिस्से में बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस कर रही थीं। पिछले 10 दिनों से उन्हें चक्कर आ रहे थे। मरीज में पहले से हाइपरटेंशन, टाईप 2 डायबिटीज की समस्या थी और उनमें कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी, इलियक स्टेंटिंग (टांग की धमनी से एंजियोप्लास्टी), परमानेन्ट पेसमेकर इन्सटॉलेशन किया जा चुका था। ऐसे में कैरोटिड आर्टरी में स्टेंट डालना बहुत मुश्किल था।“
डॉ. खन्ना ने कहा, “हमने सेलेब्रल प्रोटेक्शन के साथ कैरोटिड एंजियोप्लास्टी की। हमने फाईन मैश स्टेंट का इस्तेमाल किया, जो भारत में ब्रेन आर्टरी की एंजियोप्लास्टी के लिए आधुनिक तकनीक है। इस तकनीक का इस्तेमाल सबसे पहले यूरोप में किया गया था, हाल ही में भारत में इसकी शुरुआत हुई है। यह हमारे द्वारा किया गया पहला ऑपरेटिव केस है।“
उन्होंने कहा, “कवर्ड स्टेंट के विपरीत फाईन मैश स्टेंट अपने अंदर से खून तो बहने देता है, लेकिन कॉलेस्ट्रॉल नहीं। इसलिए दिमाग में स्ट्रोक पैदा करने वाला क्लॉट दिमाग तक नहीं पहुंच पाता। कैरोटिड एंजियोप्लास्टी की इस प्रक्रिया में तकरीबन 25 मिनट का समय लगता है।“
सर्जरी के बाद मरीज इंदिरा शर्मा ने कहा, “डॉ. खन्ना की वजह से मुझे नया जीवन मिला है।“
डॉ खन्ना ने बताया, “कैरोटिड स्टनोसिस की प्रक्रिया ठीक वैसी ही होती है, जैसे दिल की धमनी में ब्लॉक हो जाता है। इसमें दिमाग की धमनी में कॉलेस्ट्रॉल जमने लगता है। यह कॉलेस्ट्रॉल दिमाग में जाकर स्ट्रोक का कारण बन सकता है। स्ट्रोक के 50 फीसदी मामले सफल कैरोटिड स्टेंटिंग के बाद होते हैं, क्योंकि पारम्परिक स्टेंट कॉलेस्ट्रॉल और प्लॉक को फिल्टर नहीं कर पाता। लेकिन इस आधुनिक तकनीक में इस्तेमाल किया जाने वाला फाईन मैश स्टेंट प्लॉक को दिमाग के अंदर नहीं जाने देता और भविष्य के लिए दिमाग को स्ट्रोक से सुरक्षित रखता है।“
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