लखनऊ। कोलकाता के एनआरएस अस्पताल में रेजिडेंट्स डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटना के दोषियों के खिलाफ पश्चिम बंगाल की सरकार ने रविवार तक अगर कोई कार्रवाई नही हुई तो,हड़ताल के सिर्फ 36 घंटे ही शेष बचे है। इसके बाद देश व्यापी हड़ताल के साथ प्रदेश के भी सभी रेजीडेंट डाक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे। इसी क्रम में संजय गांधी पीजीआई के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन ने 17 जून से कार्य बहिष्कार की चेतावनी देते हुए निदेशक डा. राकेश कपूर को ज्ञापन सौंप दिया है। हालांकि इस दौरान इमरजेंसी और आईसीयू सेवायें प्रभावित नही होंगी। तब तक सभी रेजिडेंट डॉक्टर काला फीता बांध काम कर विरोध दर्ज कराते रहेंगे। उधर केजीएमयू व डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के डाक्टरों ने समर्थन देते हुए हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे दी है।
पीजीआई के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अजय शुक्ला, उपाध्यक्ष डॉ. अनिल गंगवार व सचिव डॉ. अक्षय ने शनिवार को 17 जून से संस्थान में प्रस्तावित हड़ताल के सम्बंध में संस्थान के निदेशक डॉ. राकेश कपूर को ज्ञापन सौंपा। रेजीडेट्स का कहना है कि 10 जून को कोलकाता के एनआरएस अस्पताल में एक बुजुर्ग मरीज की मौत के नाराज तीमारदार और उसकी तरफ से आये भारी संख्या में लोगों ने ड्यूटी में मौजूद रजिडेंट्स डॉ. परीभा मुखर्जी और उनके सहयोगियों पर हमला बोल दिया। अस्पताल में इन उपद्रवियों ने रेजिडेंट और अन्य को मारापीटा और बदसलूकी। इस घटना में घायल डाक्टरों की हालत गंभीर बनी हुई है।
घटना के दौरान वहां मौजूद पुलिस और जिम्मेदार अधिकारियों ने इन उपद्रवियों के खिलाफ तुरंत कोई कार्रवाई नही की। डॉ. अनिल अग्रवाल कहते हैं कि देश में डॉक्टरों पर हिंसा की घटनायें तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में सरकार को चाहिये की एक ठोस कानून बनाये। सभी रेजिडेंट्स ने पश्चिम बंगाल सरकार से मांग की है कि रविवार तक घटना के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नही की गई तो सोमवार से तीनों संस्थानों के रेजिडेंट्स कार्य बहिष्कार कर हड़ताल करेंगे। केजीएमयू के रेजीडेंट डाक्टरों में भी आक्रोश बना हुआ है। उनका तर्क है कि कोलकाता हो केजीएमयू सभी जगह गंभीर मरीजों की मौत पर डाक्टरों को दोषी ठहराया जाता है। चाहे वह उसे बचाने के लिए कितनी मेहनत न कर रहे हो।
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