लखनऊ। डायबिटीज के मरीजों के पैर कटने से बचाने के लिये जर्मनी की प्लांटर प्रेशर मैनेजमेंट उपकरण विभाग में आठ वर्ष बाद इंस्टाल किया गया है। लगभग 40 लाख रुपये की कीमत वाली मशीन इण्डोक्राइन सर्जरी विभाग के वार्ड में लगायी गई। विभाग के कुछ डॉक्टर इस मशीन की मियाद पूरी होने का आरोप लगाते हुये इसकी गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। वर्ष 2011 में पीजीआई के इंडोक्राइन सर्जरी विभाग डॉ. एके वर्मा ने जर्मनी से प्लांटर प्रेशर मैनेजमेंट (पीडो ग्राफ) मशीन खरीदी थी। 75 फीसदी करीब 28 लाख रुपये का भगुतान तुरन्त कर दिया गया था, लेकिन मशीन शुरू होने में आठ साल लग गये।
डायबिटीज मरीजों के पैरों कटने से बचाव में यह मशीन 85 से 90 प्रतिशत कारगर है। मशीन से के जरिए पैर के के नीचे के हिस्से के खून के दाब मापा जाता है। किस जगह कितना दबाव है, इसका जानकारी मिलने पर डॉक्टर सही वक्त पर इलाज करने में मदद मिलती है। ताकि मरीज के पैर पर अधिक दबाव न पड़े, क्योंकि दबाव की वजह से पैर में घाव होने की आंशका बढ़ जाती है। जिसकी वजह से मरीज का पैर काटना पड़ जाता है। पीजीआई निदेशक डॉ. राकेश कपूर ने स्वीकार किया है कि मरीजों के लिये यह मशीन कई साल बाद लगायी गई है। उन्होंने कहा कि मशीन की देर से लगाने पर इसकी गुणवत्ता की जांच कराएंगे।
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