एचआईवी मरीजों के योग करने से मिले बेहतर परिणामः अध्ययन

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न्यूज़। एचआईवी बीमारी में योग से हिमोग्लोबिन लेवल सिस्टम को नियंत्रित किया जा सकता है । जल्दी ही हुए शोध में पाया गया है कि योग नियमित करते रहने से एचआईवी मरीजों के हीमोग्लोबिन लेवल में भी काफी बढ जाता है। आईसीएमआर ने 60 मरीजों पर 12 हफ्ते तक अध्ययन शोध किया है, जिसमें एचआईवी के मरीजों में योग करते रहने से सुधार देखने को मिला है। आईसीएमआर ने नेशनल रिसर्च इंस्टिट्यूट की मदद से यह अध्ययन शोध की है। इस अध्ययन में योग के सुदर्शन क्रिया का प्रयोग किया गया। शोध में पाया गया कि योग कर रहे ऐसे मरीजों में हीमोग्लोबिन 13.9 से बढ़कर 15.4 ग्राम तक पहुंच गया।

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योग गुरु का दावा है कि सुदर्शन योग क्रिया डीटॉक्सिफिकेशन का काम करती है। अब तक जो भी स्टडी हुई है, उसमें देखा गया है स्वसन तंत्र के जरिए ब्रेन के निगेटिव सोच को पॉजिटिव में बदला जा सकता है। इसके लिए योग की मदद लेनी होती है और तीन से चार चरणों में प्रोटीन का लेवल बढ़ने लगता है। उन्होंने कहा कि एचआईवी मरीजों के ब्लड में सीडीफोर काउंट कम होने लगता है और इस वजह से मरीज का इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। इसलिए जब इसका इलाज किया जाता है तो डॉक्टर सीडी फोर काउंट को बेहतर करने का प्रयास करते हैं।

अध्ययन में स्शामिल आईसीएमआर के वैज्ञानिकों का दावा है कि एक निश्चित समय के बाद मरीजों में सीडी फोर सेल्स के साथ ही हीमोग्लोबिन, बॉडी मास इंडेक्स, ब्लड प्रेशर और ग्लूकोज में सुधार देखा गया। इस स्टडी के बाद नाको एचआईवी मरीजों को दी जाने वाली एंटी रिट्रोवाइटल थेरेपी के साथ अब योग को भी इलाज में शामिल कर सकता है।

इन सभी एचआईवी मरीजों को योगा विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण दिया । हफ्ते में 20 घंटे की ट्रेनिंग के दौरान मरीजों को प्राणायाम, अलग-अलग मुद्राओं में सुदर्शन के साथ अनुलोम-विलोम कराया गया। स्टडी के बाद जहां मरीजों का सीडीफोर काउंट 661.1 था वह बाद में 801 क्यूबिक एमएम पाया गया। हीमोग्लोबिन 13.9 से बढ़कर 15.4 ग्राम तक पहुंच गया। इसी प्रकार बॉडी मास इंडेक्स जो औसतन 23.5 था, वह बढ़कर 24.4 तक पहुंच गया। इसी तरह बीपी में भी सुधार पाया गया।

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