लखनऊ। स्मृति उपवन में चल रहे 63वें ऑल इंडिया आब्सटेट्रिक्स एंड गाइनोकोलॉजी (एआईसीओजी 2020) के अंतिम दिन डॉ. अलीम सिद्दीकी और डॉ.शाजिया वकार सिद्दीकी ने संयुक्त रूप से बताया कि जेंडर डिस्फोरिया यानी दूसरे लिंग की चाहत को हमारा समाज अभी भी पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाया है। उन्होंने बताया कि ट्रांसजेंडर, गे, लेस्बियन को समाज बेहद गलत तरीके से ट्रीट करने लगता है। जबकि उसकी गलती कुछ नहीं होती। उनके हार्मोन्स अलग होने की वजह से वह अपोजिट सेक्स के प्रति अट्रैक्ट होते हैं।
उन्होंने बताया कि ऐसे केस में हम सेक्सुअल रि-असाइनमेंट सर्जरी करते हैं। जिसमें हम लिंग बदल देते हैं। लेकिन अगर कोई लड़का लड़की बनाना चाहता है तो वह सब चीजें कर सकता है सिर्फ गर्भधारण के। उन्होंने बताया कि यह एक कठिन और लम्बी प्रक्रिया है। इसमें गाइनी, साइकाइट्रिक, यूरोलॉजी, इंडोक्राइनोलॉजी आदि डॉक्टरों की जरूरत होती है। साइकाइट्रिक से अप्रूवल के बाद ही सेक्स चेंज की प्रक्रिया को किया जाता है।
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