लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सीवीटीएस ( कार्डियक वस्कुलर थोरोसिक विभाग ) में मरीजों की सर्जरी के लिए लम्बी वेंटिग बन गयी है। बताया जाता है कि यह लम्बी वेंटिग कुछ वरिष्ठों की वस्र्चव की लड़ाई में बन रही है। यहां पर कुछ डाक्टर ओपीडी के दिन ही ओटी भी होती हंै। ऐसे में ओपीडी छोड़ कर आपरेशन नही कर पाते है अौर अन्य दिन वरिष्ठ आपरेशन करते है। ऐसे में डाक्टर अपना आपरेशन डे बदलने के लिए गुहार लगा रहे है, लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही है आैर गंभीर मरीज परेशान हो रहे है।
यहां पर इलाज के सीतापुर निवासी अनूप यादव (22)(परिवर्तित नाम) गंभीर दिल की बीमारी से ग्रसित है। अनूप का इलाज केजीएमयू के सीवीटीएस विभाग में चल रहा है। यहां पर डाक्टरों ने सर्जरी करने को कहा है। लेकिन उनकों बताया गया है कि मौजूदा समय में ओटी खाली न होने के कारण सर्जरी एक महीने के लिए टाल दी गयी है। नतीजा मरीज की हालत दिन प्रति दिन गंभीर होती जा रही है। उनका कहना है कि परेशान होकर विभागाध्यक्ष के पास गया तो उन्होंने विभाग पर पहले से मरीजों का भारी दबाव बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया। बताया जाता है कि यह एक बानगी है। यही नहीं गोण्डा निवासी सुमन भी गंभीर हालत में सीवीटीएस विभाग आयी थीं। बताया जाता है कि डाक्टर सर्जरी को भी तैयार थे,लेकिन उनको भी नियमों का हवाला देकर सर्जरी के लिए विभागाध्यक्ष ने मना करा दिया।
विभाग में सामान्य दिनों में पांच दिन आपरेशन किया जाता है। मौजूदा समय में केजीएमयू में गर्मी की छुट्टीयां चल रही है। सभी विभागों के कुछ डाक्टर अवकाश पर भी है। ऐसे में पांच दिन की ओटी के बजाय सप्ताह में तीन दिन की ही ओटी चल रही है। इसी दौरान विभाग के दोनों यूनिट के डाक्टरों को अपने-अपने मरीजों की सर्जरी करनी होती है, लेकिन बताया जाता है कि सप्ताह के इन तीनों दिन विभागाध्यक्ष की ही ओटी चलती है,वह ही अपने मरीजों की सर्जरी करते हैं, जबकि दूसरे यूनिट के डाक्टरों की ओटी वाले दिन ओपीडी होती है।
ऐसा इसलिए गर्मी की छुट्टी पर चल रहे हैं। एक डाक्टर को ओपीडी और सर्जरी दोनों करनी होती है। लिहाजा मरीजों को देखने के साथ ही सर्जरी करने में समस्या आ रही है। वहीं विभागाध्यक्ष ने मौखिक आदेश दे रखा है । जिसकों भी सर्जरी करनी हो वह अन्य दिनों में मरीजों की सर्जरी कर सकते हैं। वहीं सूत्रों की माने तो वर्जस्व की लड़ाई में मरीजों का अहित हो रहा है। जब इस बारे में विभागाध्यक्ष का तर्क है कि एम्स व पीजीआई में तो पांच व तीन साल की वेटिंग चल रही है। यहां तो सर्जरी की जा रही है, ज्यादा वेंटिग नहीं है।
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