लखनऊ। आयुष विभाग में मरीजों को उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा देने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। इसके लिए आयुर्वेदिक एवं यूनानी विभाग में पहली बार नर्सेज की नियमावली बनायी जा रही है। यह प्रस्ताव शासन से कार्मिक विभाग को भेज दिया गया है। जहां से जल्द ही पास होने की उम्मीद है। नर्सेज नियमावली बनाने की आयुष विभाग की इस नयी पहल से मान्यता प्राप्त निजी संस्थान के डिप्लोमा प्राप्त नर्सेज भी आयुर्वैदिक एवं यूनानी कालेज में नियुक्ति के काबिल हो जाएंगे। यही नहीं साथ ही नर्सेज का प्रमोशन भी सात साल में हो सकेगा।
आयुष विभाग के सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया कि यूनानी एवं आयुर्वेदिक स्टाफ नर्सों की नियुक्ति के लिए कोई नियमावली नहीं बनी थी। राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, लखनऊ में एक मात्र ट्रेनिंग सेंटर है। अभी तक राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालयों से शिक्षण प्राप्त नर्सों को ही सेवा में आने का मौका मिल रहा था वहीं इस नियमावली के बनने के बाद निजी संस्थानों से डिप्लोमा प्राप्त नर्सों को भी मौका मिल पायेगा।
आयुर्वेदिक कालेज में 479 नर्स और 94 सिस्टर के पद हैं। वहीं यूनानी कालेज में 37 स्टाफ नर्स, 3 सिस्टर व 1 सहायक मैट्रन का पद है। जिसमें से कई सिस्टर सालाना रिटायर हो जाती हैं जिससे वह पद रिक्त हो जाते हैं। इन्हीं पदों को भरने के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग इसका चयन करेगा।
प्रदेश के आयुर्वेदिक एवं यूनानी अध्यापक सेवा नियमावली 1990 यथा संशोधित 2008 में संशोधन करते हुए आयुर्वेदिक अध्यापकों की नयी नियमावली बनायी जा रही है, जिसमें महत्वपूर्ण परिवर्तन करते हुए शिक्षकों को वैयक्तिक प्रोन्नति का प्राविधान किया जा रहा है। इससे आने वाले समय में आयुर्वेदिक एवं यूनानी कालेजों में हायर फैकल्टी (रीडर एवं प्रोफेसर) की कमी दूर हो सकेगी। वहीं आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निधार्रित मानकों की पूर्ति हो सकेगी और आयुष कॉलेजों की शैक्षणिक सत्र की मान्यता भी प्रभावित नहीं होगी।
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