लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेण्टर के 5 वें तल पर मिल्क बैंक को बनाने की तैयारी चल रही है। इस बैंक के बन जाने के उपरांत ऐसे बच्चों को जिन्हे किसी कारणवश मॉ का दूध नही मिल पाता है, उन्हे मॉ का दूध इस बैंक से प्राप्त हो सकेगा। योजना के अनुसार ट्रॉमा सेण्टर के एनआईसीयू वार्ड में एक मिल्क कलेक्शन सेण्टर तथा दो मिल्क कलेक्षन सेण्टर को क्वीन मेरी अस्पताल में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है।
मिल्क बैंक सेटर फॉर एक्सीलेंस होगा जिसमें प्रसूताओं का लैक्टेटिव काउंसलरों द्वारा स्तन पान के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। इस सेंटर की स्थापना से नवजात बच्चों और प्रीनेटल बच्चों के मृत्यु दर में भी कमी आयेगी क्यूंकि मॉ के दूध में विभिन्नि तरह के पोषक पदार्थ होते जो नवजात बच्चों को विभिन्न बीमारियों से लड़ने में सहयोग देते है और उनको विभिन्न तरह के संक्रमण से भी बचाते है। ऐसी गुणवत्ता डिब्बाबंद दूध मे नही पायी जाती है। उपरोक्त बैंक कम्परहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर के तहत बन रहा है।
उपरोक्त सेण्टर की निर्माण के सम्बंध में आज चिकित्सा विष्वविद्यालय के प्रषासनिक भवन स्थित कमेटी रूम में एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें चिकित्सा विष्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. मदनलाल ब्रह्म भट्ट जी, प्रो. रष्मि कुमार, विभागाध्यक्ष, बाल रोग विभाग, प्रो. अमिता जैन, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, प्रो.माला कुमार, एवं स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग से प्रो. अंजु अग्रवाल एवं एसजीपीजीआई से प्रो. एमएम गोडबोले, एवं पार्थ फाउण्डेशन की श्रीमती रूचिका सचदेवा उपस्थित रहीं। यह मिल्क बैंक उत्तर प्रदेष का पहला मिल्क बैंक होगा, जिसे एनएचएम, केजीएमयू और पार्थ फाउण्डेशन के सहयोग से बनाया जायेगा। इससे स्तन पान को भी प्रोत्साहन मिलेगा और नवजात के पोषण के लिए डिब्बाबंद दूध की अवष्यकता नही पड़ेगी।